Book Title: Vruttamuktavali
Author(s): H D Velankar
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishtan

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Page 24
________________ [ ७ ] तथापि दुरूहस्थलेष्वनधिकारचर्चामनुचितां मन्वानेन मया त्रुटितानि स्थलान्येकद्वानि यथावदेव त्यक्तानि, अधिकारिभिरेव पूरणीयानि । 'पापरितोषाद्विदुषां न साधु मन्ये प्रयोगविज्ञान' मित्युक्तिदिशा ग्रंथस्यास्योपयोगित्वस्य त एव परीक्षका इति तेभ्य एव परिश्रममिमं समर्पयन् विरमामि । "इत्येतत् सूत्ररूपेण विनयाद् विन्यवेदयत् ।” आषाढी पूर्णिमा, सं० २०२०, भट्टश्रीमथुरानाथशास्त्री, मजुनिकुञ्जः, सी. स्कीम, जयपुरम् । जयपुरालयः ॥१

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