Book Title: Vruttamuktavali
Author(s): H D Velankar
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishtan
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नाम पङक्तिः सतः पङक्तिः प्रस्तार , प्रास्तार , विष्टार , संस्तार प्रक्षर अल्पशः ॥ पद पथ्या नगती त्रिष्टुब् ज्योतिष्मती ज्योतिष्मती जगती पुरस्ताज्योतिः मध्यज्योतिः इति त्रिष्टुपजगत्योरधिकारः शङ कुमती ककुद्मती पिपीलिकमया यवमया निवृत् भुरिक विराड़ गायत्री स्वराड् , उत्कृतिः अभिकृतिः संकृतिः विकृतिः प्राकृतिः प्रकृति धृतिः प्रष्टिः शक्वरी नगती प्रतिजगती देवी गायत्री
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नाम देवी उष्णिक देवी अनुष्टुप् देवी बृहती देवी पङक्तिः देवी त्रिष्टुप् देवी जगती प्रासुरी गायत्री प्रासुरी उष्णिक मासुरी अनुष्टुप् मासुरी बृहती प्रासुरी पङक्तिः मासुरी त्रिष्टुप् प्रासुरी जगती प्राजापत्या गायत्री प्राजापत्या उष्णिक प्राजापत्या अनुष्टुप प्राजापत्या बृहती . प्राजापत्या पङक्तिः प्राजापत्या त्रिष्टुप प्राजापत्या जगती याजुषी गायत्री याजुषी उष्णिक् याजुषी अनुष्टुप याजुषी बृहती याजुषी पङक्तिः याजुषी त्रिष्टुप् याजुषी जगती साम्नी गायत्री साम्नी उष्णिक . साम्नी अनुष्टुप साम्नी बृहती साम्नी पङक्तिः साम्नी त्रिष्टुप् साम्नी जगती आर्ची गायत्री प्रार्ची उष्णिक
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