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(१३) हम दिशारूप वस्त्रवाले हैं, अर्थात् दोनोंने अम्बरशब्दको तो अपने नाममें रखाही है। असलमें ऐसा मालूम होता है कि जब दिगम्बरसम्प्रदाय श्वेताम्बरसे अलग हुआ तब इतर लोगोनें उनसे पूछा कि तुम्हारे पास अन्य जैनसाधुओं जैसे कपडे कहाँ. है? तो दिगम्बरोंको कहभा पडा कि हमारे दिशारूपही वस्त्र है। इस प्रकार कहनेसे ही इस सम्प्रदायको लोग जैन नहीं कहके दिगम्बर कहने लगे, याने दिगंबरपना लोगोंने ही लगाया।
कभी मान लिया जाय कि दिगम्बरसम्प्रदायसे श्वेताम्बरसम्प्रदाय निकली, तो यह बात उचित नहीं जचती। क्योंकि दिगम्बरमेंसे श्वेताम्बर निकले होते तो उनका नाम साम्बर याने वस्त्रवाले ऐसा ही होना चाहिये था, कारण कि वस्त्र विनाके दिगम्बरों से यदि निकले होते तो विशिष्टतावाला वनसहितपनेका साम्बर नामही रखा होता। जिस प्रकार श्वेताम्बरों में त्यागीवर्गमेंसे निकले हुए यतिवर्गको परिग्रहवाले कहते हैं, उसी प्रकार इधर भी सांबर ही नाम होता, न कि श्वेताम्बर । अतः निर्णय किया जायगा कि श्वेताम्बरोंमेंसे ही दिगम्बर निकले हैं, परंतु श्वेताम्बर लोग दिगम्बरों में से नहीं निकले हैं । @@@@ दिगंबरोंके तर्फसे कहा जाता है कि मदिः
सूत्र चर्चा यह सत्र श्वेतांबरोंका होता तो इसका प्रतिपादन Disord श्वेतांवरशैली से होता, किन्तु इसमें ऐसा प्रतिपादन ही नहीं है.. बेतांबरोंने.. जीवादि मात्र
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