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अध्या. सू . श्वे. १० ३ कृत्स्नकर्मक्षयो मोक्षः १० ४ अन्यत्र केवलसम्यक्त्वज्ञानदर्शनसिद्धत्वेभ्यः
० आविद्धकुलालचक्रवव्यपगतलेपालाबु
वदेरण्डबीजवदानिशिस्वापवञ्चेति १० ८ ०. धर्मास्तिकायाभावात्
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* * पाठको ! ऊपर दी हुई सूचिसे आपको () आधिक
मालूम हो गया होगा कि श्वेतांबरों और दिगसूत्रोंकी भी बराम कौन २ सूत्र किस २ अध्यायमें किस
* किस जगह ज्यादह या कम हैं। अब यहां पर जरा सोचनेकी जरूरत है कि दर असलमें सूत्रकारके बनाये हुए सूत्र किस सम्प्रदायनें तो उडाये और किस सम्प्रदायने अपनी ओरसे नये सूत्र बनाकर घुसेड दिये ? ____यद्यपि यह बात संपूर्णतया तो ज्ञानी पुरुष और सूत्रकार महाराज ही जान सक्ते हैं, तोभी मेरी मान्यतानुसार इस विषय पर तुलना करनेकी जरूरत मालूम होती है । एवं दूसरे विद्वानोंको भी इस विषयपर. अपनी ओरसे समीक्षा करनेकी जरूरत है कि जिससे दूसरे तटस्थलोगोंको भी अपने अभिप्राय स्थिर करनेमें सुगमता हो।
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