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( ३८ ) न्तिकपणा मानने से ग्रंथकारका दिगंबरपना उडजाता है, और शास्त्रकार श्वेतांबरी ही है ऐसा साबीत होता है.
ऊपर दिखाये हुए कारणोंसे इस तत्त्वार्थ सूत्र के कर्ता श्वेतांबराम्नायके ही हैं ऐसा मानना होगा. इस विषय में किसी भी विद्वान्को कुछ भी शंका समाधान करना होवे तो शान्तिसे पक्षपात छोडके खुशी से करे, क्योंकि दोनों पक्षोंकी दलील सुनने से ही सत्य का निश्चय करना सुगम होता है.
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इस तत्रार्थसूत्रको दोनों सम्प्रदायवाले मंजूर करते हैं, लेकिन दोनों सम्प्रदाय में सूत्रमें कितनाक भेद है, सारे तत्वार्थ में श्वेतांबरोंके * हिसाबसेही अनुक्रमसे दशों ही अध्याय में ३५५३-१८-५४-४४-२६-३४-२५-५० और ७ सूत्र हैं, याने संपूर्ण तत्वार्थ में ३४६ सूत्र हैं. तब दिगंबराम्नायके तत्त्वार्थमें क्रम से दश अध्यायमें ३३-५३-३९-४२-४२-२७-३९ २६-४७ और ९ सूत्र हैं, याने सब सूत्र ३५७ हैं, अर्थात् दिगंबरोंके हिसाब से सर्वसाधारण में ग्यारह सूत्र ज्यादे हैं. कौन अध्याय में श्वेतांबरोंके. आम्नायसे ज्यादे सूत्र हैं और कौन अध्यायमें दिगम्बराम्नायसे ज्यादे सूत्र हैं. कौन कौन सूत्र किस किस अध्यायमें कौन कौन मजहब में ज्यादा हैं वह निम्नलिखित कोष्ठकसे मालूम होगा.
सूत्रका विशेष.
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