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[ ५८ ] कवि की स्वलिखित प्रतियाँ कविवर ने केवल ग्रन्थों की रचना ही नहीं की, स्व-रचित एवं अन्य-रचित अनेक ग्रन्थो की स्वयं प्रतिलिपियां भी की, जिनमे कई एक उपलब्ध हैं। कई ग्रंथों की इनके द्वारा संशोधित प्रतियां भी मिली है। इनके स्वलिखित जात ग्रन्थों की सूची यहां दी जाती हैं
नाहटा संग्रह में-(१) करकण्डु चौपाई (८ पत्र ), १६६४, यागरा; (२) फुटकर गीत ( २७ पत्र ), १६७६, (३) खण्डित प्रति, १६८८, (४) जिनचन्द्रसूरि रागमाला, १६६४, जालोर; (५) प्रस्ताविक सवैया छत्तीसी (४ पत्र), १६६८, पार्श्वचद्र उपाश्रय अहमदपुर; (६) केशी प्रदेशी प्रबन्ध ( ४ पत्र ) १६६६, अहमदाबाद, (७) रात्रिजागरण गीत (८ पत्र ); (८) नेमिगीत छत्तीसी (६ पत्र ), (६ ) साधु गीतानि; (१० ) अन्त समये जीवप्रतिबोध गीतम् ; (११) ऐरवत क्षेत्रे २४ तीर्थ कर गीतम् ; (१२) कल्याणमन्दिर वृत्ति, प्रारम्म, (१३) श्री जिनचन्द्रसूरि गीत, १६५२ खभात; (१४) पट्टावली पत्र, १६७६, प्रल्हादनपुर ।
अन्यत्र प्राप्त-(१) रूपकमाला चूर्णि (भाडारकर इन्स्टीट्यूट, पूना) (२) दीक्षा प्रतिष्ठा शुद्धि, १६८५, लूणकरणसर ( आचार्य शाखा भण्डार ) वीकानेर। (३) गाथासाहली (या० शा० भ०)। (४) कथासंग्रह (बा० शा० भ०)। (५) प्रश्नोत्तर पत्र (आ० शा० भ०)। (६) महावीर २७ भव, दो पत्र ( अवीरजी भडार )। (७) सारस्वत रहस्य ( महिमाति भण्डार)। (८) सीताराम चौपाई ( अनूप संस्कृत पुस्तकालय, नित्यमणि जीवन जैन पुस्तकालय, कलकत्ता; विजयधर्मसूरि ज्ञानभण्डार, यागरा)। (६) वाग्मटालंकार वृत्ति, मध्य पत्र (महिमाभक्ति भण्डार)।