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(१२) मूर्छागत थइ मावड़ी, दोहिलो पुत्र वियोगि ।
(खण्ड ५, ढाल ३, छन्द ११) (पुत्र वियोग दु सह है।) (१३) पाला नाव जे मुआ।
(खण्ड ५, ढाल ३, छन्द २०) (मरे हुए वापिस नहीं आते।)। (१४) मइ मतिहीण न जाण्यो, त्रुटई अति घणो ताण्यो ।
(खण्ड ५, ढाल ७, छन्द ४५) ( अधिक तानने से टूट जाता है।) (१५) कीड़ी ऊपर केही कटकी।
(कीडी (चींटी ) पर कैसी फौज १) (१६) ए तत्व परमारथ कह्यो मई, त्रुटिस्या अति ताणियो।
(खण्ड ६, ढाल १२, छन्द १२) (अधिक ताना हुआ टूट जाता है।)
(१७) उखाणउ कहइ लोक, पेटइ को घालइ नहीं अति वाल्ही छुरी रे लो
(खण्ड ८, ढाल १, छन्द १७) (प्यारी (सोने की) छुरी को भी कोई पेट मे नहीं रखता।)
(१८) खत ऊपरि जिम खार, दुख माहे दुख लागो रामनइ अति घणी रे लो।
(खण्ड ८, ढाल १, छन्द २२, पृष्ट १६२) । (घाव पर नमक, इसी प्रकार राम को दुःख मे दुःख अधिक लगा।)