Book Title: Sitaram Chaupai
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner
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। २४२ ) सील गुणे रही जीवती । सी० अटवी संकट माहि रे । ध० ए परतीति नाणी तुम्हें । सी० राखो सीतानइ साहि रे ॥६॥ ध० सिद्धारथ पणि आवीयो। सी० मुनिवर कहतो निमित्त रे । ध० रांमप्रतई एहवो कहइ । सी० सीतासील पवित्त रे ॥ ७॥ ध० धी० जउ पातालि पइसइ कदे। सी० मेर जिहा सुर कोडि रे। ध० समुद्र कदे सोखीजियइ । सी० तो सीतानइ खोडि रे ॥८॥ ध० धी० जउ झूठो बोलु कदे । सी० तो मुझनइ नीम सात रे । ध० पांच मेरे देव वादिनइ । सी० पारणो करूं परभात रे ॥ १।। ध० धी० ते पुण्य मुझनइ म थाइच्यो । सी० झूठ कहुं जउ कोइ रे ।ध० मनवचने कायाकरी । सी० सीता महासती होइ रे ॥ १०॥ ध० धी० ए बातनो ए पारिखो। सी० ए भाखु छु निमित्त रे । ध० अगनि माहे बलिस्यइ नही। सी० जलण हुस्यइजलझत्ति रे ।।११।। घ० सिद्धारथ वाणी सुणी। सी. विद्याधर ना वृद रे। ध० । कहइ सहुको तइ भलो कियो । सी० साच कह्यो सुखकंद रे॥१२॥ ध० सकलभूषण श्रीसाधनइं। सी० उपसर्गथया असमान रे। ध० तिण अवसरि तिहा ऊपनो । सी० निरमल केवलग्यान रे।।१३।। ध० ते मुनिवरनई वादिवा । सी० आविनइ इंद्रमहाराज रे। ध० बात सीतातणी सांभली। सी० धीजना मांड्या साज रे ॥१४॥ ध० हरणेगसेपी नइ कह्यो। सी० इन्द्र तेडीनइ एम रे।ध०। धीज करावण मांडियो। सी० कहउ सीतानइ केमरे ॥१५ ध० त्रिकरण शुद्ध सीता सती । सी० तेहनइ करे तुं सहाज रे ।धा हुँ जावु छु उतावलो । सी० मुनि वादण महा काज रे ॥१६।। ध०

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