Book Title: Sitaram Chaupai
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner
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( २५२ ) जातीममरण पामीयो, तिण बलदतणो अवतार । नृप कुमरनइ चीतरावियो, म चिंतवर चित्तमझार वे ।। २३ ।। तेहवइ तिण पुरुषा तिहां, ते दीठ सेठ अमूह । राजा कुमरनइ जई कहो, ते आयो गजआरूढ वे } २४ ॥ जिन प्रतिमा प्रणमीकरी, निरख्यट ते पदमकुमार। उपगारी गुरु जाणिनई, प्रणम्यो चरणे त्रिणबार वे ॥२५॥ प्रणमंतो तिणवारियो, तुं राजकुमर नरराय । कुंमर कहई तूं माहरई, गुरु धरमाचारिज थाय वे ॥२६॥ तुझ प्रसाद तिरजच हुं, थयउ छत्रपतिनो पुत्र । तुं कहई ते हिंव हुं करु', तुं परउपगार पवित्र वे ।। २७ ।। कहर श्रावकनउ धर्मकरि, जिम पामइ भवनिस्तार। आवकनो ध्रम आदत्यो, ते पालइ निरतीचार || २८॥ श्रावकनो ध्रम पालिनई, ते विहु कीधा काल । बीजइ देवलोकि ऊपना, ते वे सुर सुविसाल वे ॥२६॥ पदमरुची तिहाँ थी चवी, नंद्यावत गामनारद । नंदोसर खेचर तणो, थयोनदन नयणाणंद वे ॥३०॥ राजलीला सुख भोगवइ, संयम लीवो अतिसार । चउथइ देवलोकि ऊपनो, लहो देवतणो अवतार वे ।। ३१ ।। महाविदेह मड अवतस्यो, तिहां थी चविनउ ते तत्र । क्षेमपुरी नगरी भली, तिहां विपुलवाहून, नो पुत्र वे ॥ ३२॥ श्रीचन्दकुमर सोहामणो, बहु भोगवइ सुख संपत्ति । तिण अवसरि तिहां आवीया, श्रीहरि समाधिगुपत्ति वे ॥ ३३ ॥

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