Book Title: Sitaram Chaupai
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner
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( २४३ ) इन्द्र आदेश लेई करी। सी० हरिणेगमेपी देवरे धि०) तुरत सीता पासे गयो। सी० सीतानी करिवा सेवरे ॥१७|ध० तेहबई राम ने सेवके । सी० आवीनइ कह्यो एमरे ध० वावि लगाया ईधणा । सी० ढीलि करो तुम्हे केमरे ।।१८।। ध० वलती आगि देखी करी । सी० राम थयो दिलगीर रे ।ध० हाहा कष्ट मोटो पड्यो । सी० किम सहिसइ ए सरीर रे॥१६|| ध आगि नही कदे आपणी। सी० दुसमन जिम दुखदाय रे धिन कलंक उतारयो जोउयइ। सी० बीजो न सुझड उपाय रे ॥२०॥ ध० लोक तो बोक समा कह्या । सी० कुण राखड मुख साहि रे ।ध०॥ अपजस अणसहती थकी। सी० सीता वली आगी मांहि रे ।।२।। हाहा कदाचि सीता वली। सी० तो वलि कदि देखीस रे ।ध०। जो सूधी धीजई करी । सी० तउ लहिस्यइ सुजगीस रे ॥२२॥ ध० रामनई एम विमासतां । सी० आगि बधी सुप्रकास रे।ध०॥ झालो माल मिली गई। सी० धूम छायो आकास रे ।।२३।। ध० धग धग सवद बीहामणो। सी० अगनिनो ऊछल्यो ताम रे। एक गाऊनो चांद्रणो। सी० चिहुँदिसि थयो ठाम ठाम रे ॥२४।। ध० वाय डंडुल' वायोवली । सी० जे वाली करई खंभरे ।ध०। कायरना काप्या हिया। सी० सुननर पाम्या अचंभ रे ।।२।। ध० तिण वेला आवी तिहा । सी० सीता वावडी पासि रे ।ध०। स्नान करी परिघल जलइ । सी० अरिहंत पूजी उल्हासि रे।।२६।। ध० सिद्ध सकल प्रणमी करी। सी० आचारिज उवझाय रे। साथ नमो तीरथ धणी। सी० मुनिसुव्रतना पाय रे ॥२७॥ व०
१-ददोल।

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