Book Title: Sitaram Chaupai
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 401
________________ ( २४५ ) देवता वाई दुदु भी । सी० कीधी कुसुमनी वृष्टि रे ।ध० । सूधी सूधी सीता सती। सी० कहइ सहु को अभीष्ट रे ॥३६।। ध० नाटक माड्यो देवता । सी० करई सीता गुण प्राम रे धि०॥ सील सीताना सारिखो। सी० नहि जगमइ किणठाम रे ॥४०॥ध० सतीयां मो सीता लही। सी० रेखा जगत प्रसिद्ध रे । ध० । आगिमई पइसि दीखाडीयो। सी० साच जीणइ सुविसुद्ध रे ।।४१ चमतकार उपजावियो । सी० सुरनर नइ पणि जेण रे । ध० कीधा कुल वे ऊजला । सी० निरमल सील गुणेण रे ।।४२|| ध० सोभ चडावी रामनई। सी० पुत्रनई कीधो प्रमोद रे । घ० लखमण लाधो पारिखो। सी० थयो आणंद विनोद रे ।।४३।१० तेहवइ कुश लव आवीया। सी० आणिंद अंगि न माय रे १० सीताना चरणो नम्या । सी० हीयडइ भीड्या माय रे ।।४। घ० सीतानी महिमा करई। सी० देवता राम ते देखि रे। ध अति हरखित हुतो कहइ । सी० पामी प्रीति विशेषि रे।४५॥ घ० हे प्रिये तुझ थायो भलो । सी० तुं जीवे चिरकाल रेः ध० सुख भोगवइ निज कंत सु। सी० राजरिद्धि सुविसलारे ॥४६॥ ध० एक गुनह ए माहरो। सी० खमि तुं सदाखिण भारि रे । ध० आज पछी हु नहि करूं। सी० अपराध इण अवतारि रे ॥४७॥ध० थासुप्रसन हसि बोलि तुं। सी० तू मुझ जीव समान रे। ध० सोलह सहस अंतेतरी। सी० ते माहि तुं परथान रे ।। ४८॥ ध० तुझ आगन्या लोपुं नही। सी० म विनवर श्रीराम रे। ध० पणि सीता मानइ नही । सी० कहई मुम ध्रम सुं काम रे ॥४ाध०

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