Book Title: Sitaram Chaupai
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner
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जिम रामइ सीता काढो रे, वजूध सन्तोषी गाढी रे ।। ७ ।। के० लव कुश वे वेटा जाया रे, तप तेज प्रताप सवाया रे ॥ ८॥ के० तिण साध्या देस प्रदेसा रे, पणि माता नामनि देसा रे ।। ६ ।। के० आपणइ वाप ऊपरि आया रे, कटकी करि साम्हा धाया रे॥१०॥के० मोटो मत अनरथ थाई रे, समझावइ तिहा कोइ जाई रे॥१शा के० तुम्हनमइ वात जणावी रे, हिवइ जुगत कीजइ तिहां जाइ रे ॥१२॥ भामण्डल सुणनइ धायो रे, चित मांहे अचरज पायो रे ।। १३ ।। के० उड्यउ ते तुरत आकासइ रे, आयो सीता नइ पासइ रे ।। १४ ।। के० वाप वांधव नइ निरखी रे, सीता पणि अति घणं हरखी रे ॥१५॥ ऊठी नई साम्ही आवी रे, रोती ते वात जणावी रे॥१६॥ के० माता पिता नई भाई रे, कहइ दुख म करि तु वाई रे ।। १७ ।। के० तुझ अंगज जीपिवा लोचइ रे, पणि किम रांम सं पहुचइ रे ॥ १७॥ के० किम भुज सुं जलनिधि तरिय रे, आकास अंगुल किम भरिय रे ॥१६॥ मेरुगिरि त्राकडि कुण तोलइ रे, जलनिधि कुण राखइ कचोला रे ||२०|| चालो आपे तिहा जावां रे, सहु साथ नई जई समझावां रे ।।२शाके० सीता नई विमान बइसारी रे, चाल्यो ते अम्बरचारी रे ।। २२ । के० जातां लागी नहि वारी रे, लेई पुत्र नइ पासि वइसारी रे ॥ २३ ॥ के० जनक राजा वैदेही रे, भामंडल सुं ससनेही रे ॥२४॥ के० सीतादिक सहु को हरण्यां रे, कुमर प्रतापी निरख्या रे ।।२शा के० कुमर आदर मान दीधा रे, 'सहु को आपणइ पक्ष कीधा रे ।।२६।। के० । पांचमी ए ढाल सइ भाखी रे, 'कहइ सुन्दर ग्रथ नी साखी रे ॥२७॥के०
. सर्वगाथा ॥२६॥

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