Book Title: Sitaram Chaupai
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner
View full book text
________________
( २३६ ) | खाड ९॥
दहा १० हिव नवमो खंड बोलिस्यु, नवरस मिल्यां निदान । मन वंछित सुख पामियइ, निरमल नवे निधान ।।१।। अन्य दिवस श्री रामनई, जंपवे कर जोडि । सुग्रीव विभीषण प्रमुख, हित कहतां नहि खोडि ॥२॥ पुंडरीक नगरी रहइ, सीता दुखिणी सामि । पतिनइ पुत्र वियोगिनी, किम राखइ मन ठामि ।।३।। राम कहइ सुणि मुज्झनई, सीता विरहो थाय । दुखु घणो दामई हीयो, पणि कुणि करु उपाय |४|| मइ छोडी वल्लभ थकी, लोक कुजस भडवाय। तुम्हे मिलीनइ तिम करउ, जिमवेतड़ सचवाय ||५|| दाय उपाय करो तिको, मिलइ सीता जिम मुज्म । कलंक सीतानो उतरई, सहु जिम पडइ समझि॥६॥ राम वचन इम सांभली, भामंडल सु तेह । सुग्रीव विभीषण प्रमुख, विद्याधर सुसनेह ॥७॥ सीता पासि गया तुरत, कीधउ चरण प्रणाम । आगई बइठा आविनई, तिन बोलाया ताम ॥ll कर जोडी नइ ते कहई, सभलि सीता वात । आवउ नगरी आपणी, राम दुखी दिन राति ॥ तुम्ह दरस देखण भणी, अति ऊमाह्यो लोक । तरसई मेहतणी परई, वलि दिनकर जिम कोक ॥१०॥

Page Navigation
1 ... 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445