Book Title: Sitaram Chaupai
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 368
________________ ( २१२ ) कहइ राजा जे पापीयो रे, अस्त्री एह रतन्न । इहा मुंकीनइ घरे गयो रे, यंत्रमय तेहनो मन्न ||३०|पिका राजा वइसी पूछीयो रे, किण छोडी इण ठाम । तई अपराध किसो कियो रे, कहि आपणो तुं नाम ॥३१॥पि०॥ सोकातुर बोलइ नहीं रे, सीता नारि लिगार। मतिसागर महतो कहइ रे, सुणि सुंदरि सुविचार ||३२|| पिoll सोक मुंकि तुंसवेथा रे, ए संसार असार । खिणभंगुर ए भाव छ। रे, जीवित अथिर अपार ॥३३॥पिका लखमी पणि चंचल घणुं रे, जाणे गंग तरंग। भोग संयोग ते सुंहणो रे, विहडइ प्रीतम संग ॥३४॥पिका भव माहे भमता थका रे, केहनइ दुखु न होइ । केहनइ रोग न ऊपजइ रे, वाल्हउ बिहडइ सोइ ॥३शापिका सुख दुख सउ नई सरिखा रे, म करि दुखु लिगार। धीरपणो मन मईधरी रे, बोलि तुं बोल विचार ॥३६॥पिok सामी एह छइ माहरो रे, वज्रजंघ जसु नाम । पुडरीकपुर राजीयो रे, जिन धरमी अभिराम । ३७॥पि०॥ पर उपगार सिरोमणी रे, महाभाग दातार । दृढ समकित धर दृढव्रती रे, अति उत्तम आचार ॥३८॥पिता ए अति उत्तम साहमी रे, साहमीवच्छल एह । एहनी संगति तुज्झनई रे, आविस्यइ दुखु नउ छेह ॥३६॥पिoll ते भणी एहसुं बोलि तुरे, कहि अपणी तुवात । इम मंत्री सममावतां रे, सीता अपनी सात ॥४०॥पि०॥

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