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ने वाणों की वर्पा द्वारा म्लेच्छाधिप इन्द्रभूति को परास्त कर दिया, राम के आदेश से उसने वालिखिल को बन्धनमुक्त कर दिया।
ब्राह्मण कपिल कथा प्रसंग वालिखिल्ल को अपने नगर पहुंचा कर एक अटवी में जाने पर सीता को प्यास लग गई। राम लक्ष्मण उसे अरुण गांव में कपिल ब्राह्मण के घर ले गये जहाँ ब्राह्मणी ने शीतल जलादि से सत्कृत कर ठहराया। इतने ही में ब्राह्मण ने आकर स्त्री को गाली देते हुए उलाहना दिया कि इन म्लेच्छोंको ठहराकर मेरा घर अपवित्र कर दिया। लक्ष्मण उसकी गालियों से क्रुद्ध होकर टांग पकड़ कर घुमाने लगा तो राम ने उसे छुड़ा दिया और तीनों ने जंगल का मार्ग लिया।
सुदूर अटवी में पहुंचने पर घनघोर घटा, गाज, वीज के साथ मूसलधार वर्षा होने लगी। ठंढ के मारे जव शरीर कांपने लगा तो राम, सीता, लक्ष्मण ने एक घनी छाया वाले वट-वृक्ष का आश्रय लिया । इस वृक्ष मे एक यक्ष रहता था जो राम-लक्ष्मण के तेज को न सह सका और बड़े यक्ष के पास जाकर शिकायत करने लगा। बड़े यक्ष ने अवधिज्ञान से पहिचान कर पलंग-शय्या आदि सुख सुविधाएं सोने के लिए प्रस्तुत कर दी। प्रातःकाल जब उठे तो यक्ष द्वारा निर्मित समृद्धिशाली नगर सीता, राम, लक्ष्मण ने साश्चर्य देखा। इसमें राजभवन, मन्दिर और कोट्याधीशों के मकान सुशोभित थे। यक्ष निर्मित रामपुरी मे इन्होंने वर्षाकाल व्यतीत किया। _____एक दिन जंगल मे घूमते हुये कपिल ब्राह्मण ने इस नव्य नगरी को देखा तो एक महिला से उसने इस नगरी का परिचय पूछा ।