Book Title: Satsadhu Smaran Mangal Path
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir

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Page 9
________________ चित्र-परिचय (जीवन-संक्षेप) -*** जिस सुन्दर सुकुमार चित्रको पाठक अपने सामने देख रहे । हैं वह कलकत्ताके सुप्रसिद्ध व्यवसायी सेठ रामजीवनजी सरा- । वगीकी पौत्री और बाबू नन्दलालजी जैनकी इकलौती पुत्री। है श्रीमतो तारावाईका चित्र है, जिसका जन्म कलकत्ता नगरमें प्रथम श्रावण शुक्ला त्रयोदशी विक्रम संवत् १९८५ को हुआ, जिसने सावित्री पाठशालामें लौकिक और परपर धार्मिक शिक्षा, प्राप्त की, दोनों प्रकारकी शिक्षा प्राप्त करलेनेपर जिसका विवाह संस्कार कलकत्तामें ही फतहपुर निवासी स्व० सेठ बालूरामजी ! । खेमकाके ज्येष्ठ सुपुत्र चि० बाबू शिवप्रसादजी खेमकाके साथ हुआ, युद्धके कारण कलकत्तामें भगदड़ मच जानेपर वैसाख शुक्ला पंचमी संवत् १९६६ को जिसके द्विरागमनकी रस्म राजगृही (राजगिरि ) में की गई, जो फतहपुर ससुरालमें जाकर कोई दो ! महीने बाद ही श्रावण मासमें बीमार पड़ गई, जिसने अपनेको अस्वस्थ देखकर और धार्मिक भावनासे प्रेरित होकर पिताजी१ को अपने बाल्यकालकी जोड़ी हुई पूंजीमेंसे एक हजार रुपयेके ! दानकी प्रेरणा की, और जो अन्तमें सभी योग्य उपायोंके निष्फल

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