Book Title: Satsadhu Smaran Mangal Path
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir

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Page 80
________________ ०४ O++ ++ ++ ++ ++ ++on ++ प्रकीर्णक-पुस्तकमाला ++ ++ ++ ++ ++ ++ २१ श्रीविद्यानन्द-स्मरण 8++ ++ ++ ++ ०::०* ++ ++26++PerfeO++ ++20++26++20+496++ ++00++ O++00+ +8+ +26++EC++EO++ce++ अलश्चकार यस्सार्वमाप्तमीमांसितं मतम् । स्वामिविद्यादिनन्दाय नमस्तस्मै महात्मने । यः प्रमाणाप्तपत्राणां परीक्षाः कृतवान्नुमः । विद्यानन्दमिनं तं च विद्यानन्दमहोदयम् ॥ विद्यानन्दस्वामी विरचितवान् श्लोकवार्तिकालंकारम् ।। जयति कवि-विबुध-तार्किकचूडामणिरमलगुणनिलयः॥ -शिमोगा नगरताल्लुक-शिलालेख नं० ४६ 'जिन्होंने सर्वहितकारी प्राप्तमीमांसित-मतको अलंकृत किया है-स्वामी समन्तभद्रके परमकल्याणरूप 'आप्तमीमांसा' ग्रन्थको अपनी अष्टसहस्रो टोकाके द्वारा सुशोभित किया है-उन महान् । आत्मा स्वामी विद्यानन्दको नमस्कार है।' ___ 'जो प्रमाणों, आप्तों तथा पत्रोंकी परीक्षा करनेवाले हुए हैंजिन्होंने प्रमाणपरीक्षा, आप्तपरीक्षा और पत्रपरीक्षा जैसे महत्वके । प्रन्थ लिखे हैं-उन विद्या तथा आनन्दके महान् उदयको लिये हुए अथवा (प्रकारान्तरसे ) 'विद्यानन्द-महोदय' ग्रन्थके रचयिता है स्वामी विद्यानन्दकी हम स्तुति करते हैं उनकी विद्याका यशोगान : करते हैं।' 4 'जिन्होंने 'श्लोकवार्तिकालंकार' नामका ग्रंथ रचा है वे कवियोंके चूडामणि, विबुधजनोंके मुकुटमणि और तार्किकोंमें , ++ ++ ++ ++ ++ ++++ ++ ++ ++ ++ ++ ++20++PO++ ++ ++20++ ++2

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