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सत्साधु-स्मरण- मंगलपाठ W++++++++
होता--उल्टा उसके तेजके सामने हतप्रभ होजाता है, परन्तु ये प्रभाचन्द्र मार्तण्ड ( प्रमेय कमलमार्तण्ड ) की तेजोवृद्धि में निरन्तर ही अव्याहतशक्ति रहे हैं, यही एक विचित्रता है ।'
'जो न्यायकुमुदचन्द्र के उदयकारक -- जन्मदाता - हुए हैं और जिन्होंने शाकटायन के सूत्र - - व्याकरणशास्त्र — पर न्यास रचा है, उन प्रभाचन्द्रमुनिको नमस्कार है । '
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श्रीवीरसेन - स्मरण
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शब्दब्रह्मेति शाब्दैर्गणधर मुनिरित्येव राद्धान्तविद्भिः । साक्षात्सर्वज्ञ एवेत्यवहितमतिभिः सूक्ष्मवस्तुप्रणीतः (प्रवीणैः ?) यो दृष्ट विश्वविद्यानिधिरिति जगति प्राप्तभट्टारकाख्यः स श्रीमान् वीरसेनो जयति परमतध्वान्तभित्तं त्रकारः || -धवला - प्रशस्ति
'जिन्हें शाब्दिकों (वैय्याकरणों) ने 'शब्दब्रह्मा' के रूप में, सिद्धान्तशास्त्रियोंने 'गणधर मुनि' के रूप में, सावधानमतियोंने 'साक्षात्सर्वज्ञ' के रूप में, और सूक्ष्मवस्तुविज्ञोंने 'विश्वविद्यानिधि ' के रूप में देखा - अनुभव किया—और जो जगत् में 'भट्टारक' नामसे प्रसिद्धिको प्राप्त हुए, वे (लोक में छाये हुए) अन्यमतोंके अन्धकार को भेदने वाले शास्त्रकार - धवलादिके रचयिता - श्रीमान् वीरसेनाचार्य जयवन्त हैं - विद्वहृदयों में सब प्रकारसे अपना सिक्का जमाए हुए हैं।'
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