Book Title: Satsadhu Smaran Mangal Path
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir

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Page 41
________________ सत्साधु-स्मरणमंगलपाठ @++BZ++++++96++++90++++96++90+ +96++++C++9C++@C++9C++ १६ स्वामि- समन्तभद्र - स्मरण +E++8+ १ समन्तभद्र - वन्दन P 1 तीर्थं सर्वपदार्थ तत्त्व - विषय - स्याद्वाद - पुण्योदधेः भव्यानामकलङ्क - भावकृतये प्राभावि काले कलौ येनाचार्य समन्तभद्र-यतिना तस्मै नमः सन्ततम् ( कृत्वा वित्रियते स्तवो भगवतां देवागमस्तत्कृतिः ॥ ) - देवागमभाष्ये, श्री कलकदेवः 'जिन्होंने सम्पूर्ण-पदार्थ-तत्त्वोंको अपना विषय करनेवाले स्याद्वादरूपी पुण्योदधि- तीर्थको इस कलिकाल में, भव्यजीवोंके आन्तरिक मलको दूर करनेके लिये प्रभावित किया है-उसके प्रभावको सर्वत्र व्याप्त किया है—उन आचार्य समन्तभद्रयतिकोसन्मार्ग में यत्नशील योगिराजको -- बार बार नमस्कार ।' भव्यैक - लोकनयनं परिपालयन्तम् । स्याद्वाद - वर्त्म परिणौमि समन्तभद्रम् ॥ - अष्टशत्यां श्रीकलंक देवः 'स्याद्वादमार्ग संरक्षक और भव्यजीवोंके लिये द्वितीयसूर्य- उनके हृदयान्धकारको दूर करके अन्तः प्रकाश करने तथा सन्मार्ग दिखलानेवाले — श्रीसमन्तभद्रस्वामीको मैं अभिवन्दन करता हूँ ।' - @++96++C++ -90+ २५ 26++93++90+

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