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अद्भुतार्णव - नवद्वीप के राजा ईश्वर की राजसभा का वर्णन प्रस्तुत द्वादशांकी नाटक में कवि भूषण ने किया है।
अंग्रेजी साम्राज्य हिंदुस्थान में प्रस्थापित होने के बाद कुछ नाटक संस्कृत साहित्यिकों ने लिखे, जिन में परकीय आधिपत्य का प्रभाव दिखाई देता है। इन नाटकों का अंतर्भाव भी ऐतिहासिक नाटकों में हो सकता है :
कंपनी-प्रतापमण्डन - लेखक बिंदुमाधव जयसिंहाश्वमेधीय - सातवे एडवर्ड के राज्यारोहणनिमित्त मुडुम्ब नरसिंहाचार्य स्वामी ने यह नाटक लिखा। दिल्लीसाम्राज्य - पंचम जार्ज के दिल्ली दरबार के निमित्त लक्ष्मण सूरी ने इसकी रचना की।
ऐतिहासिक नाटकों का अभाव दूर करने का प्रयास 19 वीं शती से प्रारंभ हुआ जैसे सिद्धान्तवागीश के मिवारप्रताप, शिवाजीचरित, वंगीयप्रताप ये तीन नाटक।
जीवन्यायतीर्थ के शंकराचार्यवैभव, विवेकानन्दचरित, स्वातंत्र्यसंधिक्षण (प्रहसन) और स्वाधीनभारतविजयः।
मूलशंकर माणिकलाल याज्ञिक के प्रतापविजय, संयोगितास्वयंवर, और छत्रपतिसाम्राज्य (शिवाजी चरित्र विषयक) भारतविजय, शंकरविजय, वीर पृथ्वीराज, और गान्धीविजय ।
डॉ. वेंकटराम राघवन के प्रतापरुद्रविजय, विजयाङ्का, विकट-नितम्बा और अनारकली) श्रीमती लीलाराव दयाल के मीराचरित, तुकारामचरित, और ज्ञानेश्वरचरित ।
डा. यतीन्द्रविमल चौधरी के भारतविवेक, भारतराजेन्द्र, सुभाष सुभाष, देशबंधु देशप्रिय, रक्षकश्रीगौरक्ष, भारत- हृदयारविन्द, शक्तिसारद, मुक्तिसारद, अमरमीर, भारतलक्ष्मी और विमलयतीन्द्र। डा. रमा चौधरी (डा. यतीन्द्र विमल चौधरी की धर्मपत्नी) के शंकरशंकर, रामचरितमानस, भारतपथिक, भारताचार्य, अग्निवीणा, भारततात, (म. गांधीविषयक) और भारतवीर (शिवाजी विषयेक)।
वीरेन्द्रकुमार भट्टाचार्य के गीतगौरांग और सिद्धार्थ चरित। श्रीराम भिकाजी वेलणकर के रानी दुर्गावती, स्वातंत्र्यलक्ष्मी, छत्रपति शिवराज और लोकमान्यस्मृति।
डा. श्रीधर भास्कर वर्णेकर के विवेकानन्दविजय और शिवराज्याभिषेक।
इन के अतिरिक्त सहस्रबुद्धे कृत अब्दुलमर्दन और प्रतीकार, रंगाचार्यकृत शिवाजीविजय और हर्षबाणभट्टीय, सत्यव्रतकृत महर्षि (दयानंद) चरितामृत, नीर्पाजे भीमभट्टकृत काश्मीरसन्धानसमुद्यम और हैदराबादविजय, के. रामरावकृत पौरव-दिग्विजय, डा. गजानन बालकृष्ण पळसुलेकृत धन्योऽहं धन्योऽहम् (वीरसावरकर विषयक), योगेन्द्रमोहनकृत संयुक्ता - पृथ्वीराज, विश्वनाथ केशव छत्रेकृत प्रतापशक्ति, सिद्धार्थप्रव्रजन, डा. बलदेवसिंह वर्माकृत हर्षदर्शन, विनायक बोकीलकृत शिववैभव और रमामाधव, रमाकान्त मिश्रकृत जवाहरलाल नेहरू विजय, हजारीलाल शर्मा कृत हकीकतराय, पद्मशास्त्री कृत बंगलादेश विजय और डा. रेवाप्रसाद द्विवेदी कृत काँग्रेसपराभव, इत्यादि आधुनिक लेखकों के ऐतिहासिक नाटकों की नामावली से, संस्कृत साहित्य क्षेत्र में दीर्घ काल तक जिन ऐतिहासिक विषयों के नाटकों का अभाव या, वह प्रायः समाप्त हो गया है, यह हम कह सकते हैं। भारत के प्राचीन और अर्वाचीन इतिहास में जिन महानुभावों के नाम अजरामर हुए हैं ऐसे अधिकांश श्रेष्ठ पुरुषों के चरित्रों पर आधारित ऐतिहासिक स्वरूप के नाटक अर्वाचीन कालखंड में लिखे गए और प्रायः उन सभी के प्रयोग भी यथावसर प्रस्तुत हो चुके हैं।
अर्वाचीन नाटककारों ने और भी एक विषेष कार्य किया है, और वह है भारत की अन्यान्य प्रादेशिक भाषाओं में लोकप्रिय हुए श्रेष्ठ नाटकों के संस्कृत अनुवाद। अनेक सुप्रसिद्ध अंग्रेजी नाटकों के भी अनुवाद विद्वान लेखकों ने किए हैं और उनके भी यथावसर प्रयोग प्रस्तुत हो चुके हैं।
15 नाटकोंका नाट्यशास्त्रीय वर्गीकरण अभी तक संस्कृत नाट्य वाङमय का विषयानुसार वर्गीकरण करते हुए संक्षिप्त परिचय दिया गया। प्राचीन शास्त्रकारों ने जिन दशविध रूपकों एवं अठारह प्रकार के उपरूपकों में नाट्य वाङ्मय का वर्गीकरण किया, उनमें से कुछ प्रमुख रूपकों का उल्लेख करना आवश्यक है। उपर्युक्त वर्गीकरण में नाटक, प्रकरण, नाटिका इस प्रकार के अनेक रूपकों का परिचय हो चुका है। अतः आगे अवशिष्ट रूपकप्रकारों में विशिष्ट रूपकों का निर्देश किया जा रहा है।।
ईहामृग :- कृष्ण मित्र कृत वीरविजय और कृष्ण अवधूत घटिकाशतक द्वारा विरचित सर्वविनोद । डिम :- रामविरचित मन्मथोन्मथन और वेंकटवरदकृत कृष्णविजय।
प्रहसन :- शंखधरकृत लटकमेलक- यह अतिप्राचीन प्रहसन माना जाता है। ज्योतिरीश्वर (16 वीं शती) कृत धूर्तसमागम, वाणीनाथ के पुत्र कवितार्कितकृत कौतुकरत्नाकर, सामराजकृत धूर्तनर्तक, महेश्वरकृत धूर्तविडंबन, बत्सराज-कृत हास्यचूडामणि, जगदीश्वर
संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथकार खण्ड / 235
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