Book Title: Samyag Darshan Part 03
Author(s): Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
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[ सम्यग्दर्शन : भाग-3
सम्यग्दर्शन के लिये प्राप्त सुनहरा अवसर मोह के क्षय का अमोघ उपाय
श्रावण कृष्ण दूज के प्रवचन में पूज्य गुरुदेव ने मोह क्षय का अपूर्व मार्ग दर्शाया... अहा ! उल्लासपूर्वक जिस उपाय का श्रवण करने से मोहबन्धन शिथिल पड़ जाता है... और जिसका गहन अन्तर्मन्थन करने से क्षणमात्र में मोह का क्षय हो जाता है - ऐसा मोहक्षय का अमोघ उपाय सन्तों ने दर्शाया है। जगत् में अत्यन्त विरल और महादुर्लभ सम्यक्त्व प्राप्ति का मार्ग इस काल में सन्तों के प्रताप से सुगम बना है... यह वास्तव में मुमुक्षु जीवों का कोई महान् सद्भाग्य है। ऐसा अलभ्य अवसर प्राप्त करके, सन्तों की छाया में अन्य सब भूलकर अपने को, अपने आत्महित के प्रयत्न में कटिबद्ध होना चाहिए।
स्वभाव की सन्मुखतापूर्वक स्वरूप में लीन होकर, मोह का क्षय करके जो सर्वज्ञ अरहन्त परमात्मा हुए, उनके द्वारा उपदिष्ट मोह के क्षय का उपाय क्या है ? वह यहाँ आचार्यदेव बताते हैं । उन्होंने प्रवचनसार गाथा 80 में यह बताया कि भगवान अरहन्तदेव का आत्मा, द्रव्य-गुण-पर्याय तीनों से शुद्ध है । उनके शुद्ध द्रव्य - गुण- पर्याय को पहचानकर, अपनी आत्मा के साथ उनका मिलान करने से, ज्ञान और राग का भेदज्ञान होकर, स्वभाव और परभाव की भिन्नता होकर, ज्ञान का उपयोग अन्तर -स्वभावसन्मुख होता है । वहाँ एकाग्र होने पर गुण - पर्याय के भेद का आश्रय भी छूट जाता है और गुणभेद का विकल्प भी छूटकर
Shree Kundkund - Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.