Book Title: Samyag Darshan Part 03
Author(s): Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai

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Page 232
________________ www.vitragvani.com 216] [सम्यग्दर्शन : भाग-3 छह माह का कोर्स ____ आत्मप्राप्ति के अभ्यास का कोर्स कितना? अधिक से अधिक छह महीने ! जिस प्रकार मेट्रिक के अभ्यास का कोर्स दस-ग्यारह वर्ष का होता है; बी.ए. के अभ्यास का कोर्स तीन वर्ष का होता है; इसी प्रकार यहाँ धर्म के अभ्यास में बी.ए. का अर्थात् ब्रह्मस्वरूप आत्मा के अनुभव का कोर्स कितना? आचार्यदेव कहते हैं कि अधिक से अधिक छह महीने तक अभ्यास करने से तुझे ब्रह्मस्वरूप आत्मा का अनुभव अवश्य होगा... परन्तु अभ्यास के लिए एक शर्त ! क्या शर्त?... कि दूसरा सब कोलाहल छोड़कर अभ्यास करना... किस प्रकार अभ्यास करना? यह बात सिखलाते हुए आचार्यदेव कहते हैं कि - विरम किमपरेणाकार्यकोलाहलेन स्वयमपि निभृतः सन् पश्य षण्मासमेकम्। हृदयसरसि पुंसः पुद्गलाद्भिन्नधाम्नो ननु किमनुपलब्धि ति किं चोपलब्धिः ॥34॥ देखो, जिसे आत्मा का अनुभव करने की लगन लगी है - ऐसे शिष्य को सम्बोधित करते हुए आचार्यदेव कहते हैं कि हे भव्य! विरम.... जगत् के अन्य सब व्यर्थ के कोलाहल से तू विरक्त हो, अन्य व्यर्थ के कोलाहल से तुझे कुछ लाभ नहीं है; इसलिए उससे तू विरक्त हो जा... बाह्य कोलाहल को एक ओर रखकर अन्दर में चैतन्य को देखने का अभ्यास कर। समस्त परभावों के कोलाहल से रहित – ऐसे चैतन्यस्वरूप को देखने के Shree Kundkund-Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.

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