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रवीन्द्र-कथाकुञ्ज
मारते हुए कहा-खबरदार ऐसा काम न करना, नहीं तो तुम्हारा घुड़दौड़का मैदान मिट्टी हो जायगा ! ___ नवेन्दुने फड़ककर कहा-इसी चिन्ताके कारण आज रातको मुझे नींद नहीं आई!
नीलरतनने आश्वासन देकर कहा-आपका नाम किसी अखबारमें प्रकाशित नहीं होगा।
लावण्यने अतिशय गंभीरताके साथ कहा-तो भी जरूरत ही क्या है ? यदि कहीं किसी तरह... ___नवेन्दुने तीव्र स्वरस्से कहा-अखबारों में नाम प्रकाशित होनेसे क्या मैं डरता हूँ ? यह कहकर नीलरतनके हाथसे फेहरिस्त लेकर उन्होंने चटसे एक दम एक हजार रुपया लिख दिया । पर उन्हें यह विश्वास बना ही रहा कि यह बात अखबारों में प्रकाशित न होगी।।
लावण्यने मस्तकपर हाथ रखकर कहा-यह आपने क्या किया ?
नवेन्दुने घमण्डके साथ कहां-क्यों, क्या कोई अनुचित काम हो गया ? ___ लावण्यने कहा-यदि सियालदह स्टेशनका गार्ड, ह्वाइट वे कम्पनीकी दूकानका असिस्टेण्ट, हार्ट ब्रदर्सका साईस आदि सब तुमसे नाराज होकर कहीं रूठ बैठे, यदि तुम्हारे निमंत्रण में शराब पीने न
आये और यदि मुलाकात होनेपर तुम्हारी पीठ न ठोंकी, तो____ नवेन्दुने उद्धृतताके साथ कहा—यदि ऐसा हुआ तो मैं घर जाकर जान दे दूंगा!
कुछ दिनोंके बाद नवेन्दुबाबूने चाय पीते हुए एक अखबार में एक x नामधारी लेखकका पत्र पढ़ा जिसमें उसने इन्हें अनेक धन्यवाद देकर कांग्रेसके चन्देकी बात प्रकाशित कर दी थी और लिखा