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रवीन्द्र-कथाकुञ्ज
स्मात् कुछ दम्भपूर्वक रूखी हँसी हँसकर बोला-भवनाथ बाबू , मैं परीक्षामें फेल हो गया । जो बड़े बड़े लोग विद्यालयोंकी परीक्षाओं में फेल होकर जीवनकी परीक्षामें पहली श्रेणीमें उत्तीर्ण हुए थे, अाज मानो मैं भी उन्हींमें गिने जानेके योग्य हो गया ! परीक्षा, वाणिज्य, व्यवसाय, नौकरी आदिमें कृतकार्य होना साधारण (कोटिके लोगोंका लक्षण है । अकृतकार्य होनेकी आश्चर्यजनक शक्ति या तो निम्नतम श्रेणीके लोगोंमें होती है और या उच्चतम श्रेणीके ही लोगोंमें पाई जाती है। भवनाथ बाबूका चेहरा स्नेहपूर्ण करुण हो गया। वे अपनी कन्याके परीक्षा उत्तीर्ण होनेका समाचार मुझे न सुना सके। पर हाँ, मेरी असंगत उग्र प्रसन्नता देखकर वे कुछ विस्मित अवश्य हो रहे । वे अपनी सरल बुद्धिसे मेरे अभिमानका कारण न समझ सके । ___ इतनेमें मेरे कालिजके नवीन अध्यापक वामाचरण बाबूके साथ किरण सलज्ज सरसोज्वल मुखसे वर्षासे धोई हुई लताके समान छलछल करती हुई कमरेमें आ पहुँची। अब मेरे लिए और कुछ भी समझना बाकी नहीं रह गया । रातको घर आकर मैंने अपनी सारी रचनाएँ जला डाली और अपने ग्राम में जाकर विवाह कर डाला। ___ गंगाके तटपर जिस वृहत् काव्य के लिखने की बात थी, वह लिखा तो नहीं गया ; पर हाँ, मैंने अपने जीवनमें उसे प्राप्त कर लिया।