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अतिथि
काँगलके जमीन्दार बाबू मोतीलाल नाव किराए करके अपने परिवारसहित स्वदेश जा रहे थे। रास्तेमें दोपहर के समय उन्होंने नदीतटके एक बाजारके पास नाव बँधवा दी और वहीं रसोई आदि बनानेका आयोजन करने लगे। इतने में एक ब्राह्मण बालकने उनके पास आकर पूछा-बाबूजी, आप लोग कहाँ जायँगे? बालककी अवस्था पन्द्रह सोलह वर्षसे अधिक न होगी।
मोती बाबूने उत्तर दिया-हम लोग काँठाल जायेंगे ।
ब्राह्मण बालकने पूछा-क्या आप मुझे रास्तेमें नन्दीगाँवमें उतार देंगे?
मोती बाबूने उसे रास्तेमें उतार देना मंजूर कर लिया और पूछातुम्हारा नाम क्या है ?