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रवीन्द्र-कथाकुञ्ज
तो अधिक अधिक यही करेंगे कि यह युवक नील आकाशमें अपनी प्रियतमाका मुखचन्द्र अंकित करके काली रातकी कमी पूरी कर रहा है । इस तरह इस युवक के प्रति मेरा चित्त उत्तरोत्तर आकर्षित होने लगा ।
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मैंने उसके निवासस्थानका पता लगा लिया । यह भी जान लिया कि उसका नाम मन्मथ है और वह किसी कालेज में पढ़ता है । इस. वर्ष परीक्षा में फेल हो जाने के कारण गर्मी की छुट्टियों में घर नहीं गया है । उसके साथ और सब विद्यार्थी अपने अपने घर चले गये हैं । मैंने इस बात की जाँच करनेका पक्का निश्चय कर लिया कि जब सभी विद्यार्थी इन लम्बी छुट्टियों में कलकत्ता छोड़कर भाग जाते हैं, तब इस भले मानसको किस दुष्ट ग्रहने पकड़ रखा है ।
safar मैं भी विद्यार्थी बन गया और उसीके कमरे के एक हिस्से में जाकर रहने लगा । पहले ही दिन जब उसने तब वह कुछ ऐसे ढंग से मेरे मुँहकी ओर निहार कर रह उसका भाव अच्छी तरह न समझ सका । ऐसा जान पड़ा, हुश्रा है और वह मेरा मतलब समझ गया है । मुझे निश्चय हो गया कि यह एक अच्छे शिकारीके योग्य शिकार है । इसपर कोई सरलता से हाथ साफ नहीं कर सकता ।
मुझे देखा, गया कि मैं मानो उसे कुछ आश्चर्य
परन्तु जब मैंने उसके साथ मित्रता करनेकी चेष्टा की, तब वह सहज ही हाथ आ गया । उसने ज़रा भी आनाकानी नहीं की । पर यह जरूर मालूम हो गया कि वह भी मुझे गहरी नजर से देखता है -- वह भी मुके पहचानना चाहता है । उस्तादोंका यही तो लक्षण है कि वे मनुष्यचरित्रकी ओर इसी तरह सदा सतर्क और सजग रहते हैं । इतनी छोटी उमरमें उसकी इतनी चतुराई देखकर मैं बहुत ही खुश हुआ ।
मैंने सोचा कि जब तक बीचमें एक सुन्दरी रमणी न लाई जायगी, तब तक इस अकाल-धूर्त छोकरेके हृदयका द्वार खुलना कठिन है
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