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उल्लेख मिलता है कि 20 तीर्थंकरों की दीक्षा श्रवण नक्षत्र में हुई। पता नहीं मुनिजी ने किस आधार पर यह कथन किया है। यदि वे आगमिक प्रमाण देते तो इस विषय में आगे विचार किया जा सकता था। दीक्षा के नक्षत्र आदि की चर्चा तो परवर्ती ग्रंथों में ही है, आगमों में नहीं है। कम से कम 32 आगमों में तो ऐसा कथन है ही नहीं। यहाँ हम एक बात और कहना चाहेंगे कि सैद्धांतिक रूप से भले ही दीक्षा, केशलोच आदि के लिए नक्षत्र आदि का उल्लेख नहीं मिलता हो, किन्तु जहाँ तक हमें ज्ञात है चाहे वह स्थानकवासी, तेरापंथी या अन्य कोई भी परंपरा हो, व्यवहार में तो सभी दीक्षा मुहूर्त आदि देखते ही हैं और उसका पालन भी करते हैं।
प्रस्तुत ग्रंथ महाप्रत्याख्यान को मुनिजी ने जयाचार्य द्वारा अस्वीकृत करने का कारण इस ग्रंथ की 62वीं गाथा बतलाया है। इस गाथा का मूल भाव यह है कि इस जीव ने देवेन्द्र, चक्रवर्तीत्व एवं राज्यों के उत्तमभोगों को अनंत बार भोगा है फिर भी इसे तृप्ति प्राप्त नहीं हुई है। इस संबंध में मुनिजी का कहना है- "इस गाथा में देवेन्द्र तथा चक्रवर्तीत्व समस्त जीव अनंतबार उपलब्ध हुए है, ऐसा कथन है । सभी जीव चक्रवर्तीत्व अनंत बार उपलब्ध नहीं हो सकते। यह कथन आगम विरुद्ध है, इसको मान्य नहीं किया जा सकता।" इस संबंध में हमारा निवेदन इस प्रकार है कि प्रथम तो यह कथन समस्त जीवों के लिए है ही नहीं, जैसा कि मुनि ने कहा है। मूल गाथा में यह कहीं भी स्पष्ट रूप से नहीं लिखा है कि प्रत्येक जीव चक्रवर्तीत्व अनन्तबार उपलब्ध हो सकते हैं और दूसरे यह एक उपदेशात्मकगाथा है इसका उद्देश्य मात्र यह बतलाना है कि अनेक बार श्रेष्ठ भोगों को प्राप्त करके भी यह जीव तृप्त नहीं हुआ है। इस सामान्य कथन को इसकी भावना के विपरीत विशेष अर्थ में लेना समुचित नहीं है। भारतीय गरीब हैयह एक सामान्य कथन है, इसका यह अर्थ लेना उचित नहीं होगा कि कोई भी भारतीय धनवान नहीं है।
मुनिजी ने अपने कथन में एक बार समस्त जीव' और दूसरी बार प्रत्येक जीव' कहकर प्रत्येक शब्द पर विशेष बल देकर ही इस ग्रंथ को अमान्य बताया है। हमारे मतानुसार मुनिजी को यह भ्रांति इस गाथा में लिखे हुए पत्ता' शब्द का ठीक से अर्थन कर पाने के कारण हुई है, संभवतया मुनिजी ने इसी ‘पत्ता' शब्द का अर्थ 'प्रत्येक कर दिया है। वस्तुतः ‘पत्ता' शब्द का अर्थ प्रत्येक नहीं होकर प्राप्त किया' ऐसा अर्थ है। यदियहाँइसरूपमें पत्ता' शब्दकाअर्थकियाजातातोमुनिजीको ऐसीभ्रांति नहीं होती।