Book Title: Prakrit Ke Prakirnak Sahitya Ki Bhumikaye
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 390
________________ 384 (श्रवणबेलगोला) की बाहुबली की मूर्ति का निर्माण ई.सं. 183 में हुआ। अतः यह कृति उसके पूर्व की नहीं मानी जा सकती और इसके कर्ता भी कुंदकुंद नहीं माने जा सकते। ___ पाँचवीं से दसवीं शताब्दी के बीच हुए अन्य दिगम्बर आचार्यों की कृतियों में कुंदकुंद के पश्चात् पूज्यपाद का क्रम आता है। पूज्यपाद ने निर्वाणभक्ति में निम्न स्थलों का उल्लेख किया है कुण्डपुर, जुम्भिकाग्राम, वैभारपर्वत, पावानगर, कैलाश पर्वत, उर्जयंत, पावापुर, सम्मेदपर्वत, शुत्रंजयपर्वत, द्रोणीमत, सह्याचल आदि। रविषेणने “पद्मचरित' में निम्न तीर्थस्थलों की चर्चा की है : कैलाश पर्वत, सम्मेदपर्वत, वंशगिरि, मेघरव, अयोध्या, काम्पिल्य, रत्नपुर, श्रावस्ती, चम्पा, काकन्दी, कौशाम्बी, चन्द्रपुरी, भद्रिका, मिथिला, वाराणसी, सिंहपुर, हस्तिनापुर, राजगृह, निर्वाणगिरिआदि। दिगंबर परंपरा के तीर्थ संबंधिशेष प्रमुख तीर्थवन्दनाओं की सूची इस प्रकार है: समय शासनचतुस्त्रिंशिका मदनकीर्ति - 12वीं-13वींशती निर्वाणकाण्ड 12-13वींशती तीर्थवन्दना 12वीं-13वीं शती जीरावलापार्श्वनाथस्तवन उदयकीर्ति 12वीं-13वीं शती पार्श्वनाथस्तोत्र पद्मनंदि 14वीं शती माणिक्यस्वामीविनती श्रुतसागर 15वींशती मांगीतुंगीगीत अभयचन्द 15वीं शती तीर्थवंदना गुणकीर्ति 15वीं शती तीर्थवंदना मेघराज 16वींशती जम्बूद्वीपजयमाला सुमतिसागर 16वीं शती तीर्थजयमाला जम्बूस्वामिचरित राजमल्ल 16वीं शती । सर्वतीर्थ वंदना ज्ञानसागर 16वीं-17वीं शती श्रीपुरपार्श्वनाथविनती लक्ष्मण 17वीं शती रचना रचनाकार

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