Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 01
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
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प्रथमाध्यायस्य प्रथमः पादः
विशेष-ये १४ चौदह प्रत्याहार सूत्र हैं । प्रत्याहार का अर्थ संक्षेप है। वैयाकरण सिद्धान्त-कौमुदी के रचयिता पं० भट्टोजिदीक्षित आदि इन्हें माहेश्वरसूत्र (शिवसूत्र ) मानते हैं। जैसा कि नन्दिकेश्वरकृत काशिका में लिखा है
नृत्तावसाने नटराजराजो
उद्धर्तुकामः सनकादिसिद्धान् एतद् विमर्शे शिवसूत्रजालम् । ।
व्याकरण महाभाष्य के रचयिता महर्षि पतञ्जलि और महर्षि दयानन्द आदि मत है कि ये १४ चौदह सूत्र पाणिनि-प्रणीत ही हैं ।
इति प्रत्याहारप्रकरणम् ।
संस्कृत वर्णमाला
पाणिनि मुनि ने इन प्रत्याहार सूत्रों में अण् आदि ४१ प्रत्याहारों के लिये आवश्यक वर्णों का ही ग्रहण किया है। पाणिनीय शिक्षा के अनुसार संस्कृत वर्णमाला में निम्नलिखित ६३ तरेसठ वर्ण हैं :
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ननाद ढक्कां नवपञ्चवारम् ।
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