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ASTRAIGARH
भावार्थ-पृथ्वीकाय जीवोंका अधिकसे अधिक आयु-उत्कष्ट आयु-बाईस हजार वर्षः अप्काय जीवोंका आयु सात हजार वर्ष; वायुकाय जीवोंका तीन हजार वर्षः प्रत्येक वनस्पतिकाय जीवोंका दस हजार वर्ष और तेज काय जीवोंका तीन अहोरात्र आय है. यह तो हुई उत्कृष्ट आयु, लेकिन जघन्य आयु सबका अन्तर्मुहूर्तका है. वासाणि बारसाऊ, बिइंदियाणं तिइंदियाणं तु । अउणापन्न दिणाइ, चउरिंदीणं तु छम्मासा ॥ ३५॥ | (विइंदियाणं ) द्वीन्द्रिय जीवोंका (आउ) आयु (बारस ) बारह (वासाणि ) वर्षका है, (तिइंदियाणं तु ) त्रीन्द्रिय जीवोंका तो ( अउणा पन्न दिणाइ) उनचास दिनका आयु होता है ( चउरिंदीणं तु) और चारिन्द्रिय जीवोंका आयु (छम्मासा) छह महीनेका है ॥ ३५ ॥ | भावार्थ-द्वीन्द्रिय जीवोंका उत्कृष्ट आयु बारह वर्षका, त्रीन्द्रियोंका उनचास दिनका और चतुरिन्द्रियका छह महीनेका है. यह सबका उत्कृष्ट आयु है, जघन्य आयु अन्तर्मुहूर्तका समझना चाहिये.
सुर-नेरइयाण ठिई, उकोसा सागराणि तित्तीसं । चउपय-तिरिय-मणुस्सा, तिन्निय पलिओवमा हुंति ॥ ६ (सुर-नेरइयाण ) देव और नारक जीवोंका (उक्कोसा) उत्कृष्ट अधिकसे अधिक (लिई स्थिति-आयु (सागराणि
तित्तीसं) तेतीस सागरोपम है, (चउपय-तिरिय ) चार पैरवाले तिर्यश्च और ( मणुस्सा) मनुष्योंका आयु (तिशिय) तीन (पलिओवमा) पल्योपम ( हुंति ) है ॥ ३६॥