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व्यषहारनयसें तो एक जीव दुसरा पुद्गल यह दो परिणामी बाकी के चार अपरिणामी है १ (जीव) यह छ द्रव्यमें एक जीवद्रव्य चेतन है शेष पाँच द्रव्य अजीव अचैतन्य है २ (मुत्तं) यह छे द्रव्यमें एक युगल जो है यह मूर्तिमंत है बाकीके पाँच द्रव्य अमूर्त अरूपी है ( सपएसा) यह छे द्रव्यमें पाँच द्रव्यस प्रदेशी है और एक कालद्रव्य अप्रदेशी है | (एग) यह छे द्रव्यमें धर्म अधर्म और आकाश ये तीन द्रव्य एक है शेष तीन अनेक है (खित्त) यह छ द्रव्यमें एक आकाश द्रव्य जो है वह क्षेत्र है शेष पाँच क्षेत्री है (किरिआय ) इस छे द्रव्यमें जीव और पुनल यह दो द्रव्य सक्रिय है शेष पारद्रव्य अक्रिय है (णिचं) ये छे द्रव्यमें व्यवहारसें तो धर्म अधर्म आकाश और काल यह चार नित्य है । पाकीके दो द्रव्य अनित्य है और निश्चयसें छेही द्रव्य नित्य है (कारण) जीवको छोडकर पाँच द्रव्य कारण है और जीवद्रव्य अकारण है (कत्ता) ये छे द्रव्यमें जीव तथा पुद्गल व्यवहारसें को बाकीके चार अकतो (सधगय) ये छ।
द्रव्यमें एक आकाशद्रव्य लोकालोक व्यापक है और बाकी के पाँच द्रव्य लोकव्यापी है ( इयर) इतर (अप्पवेसे) ६ कोई द्रव्य कोईसें मिले नहीं ॥ १४ ॥ इति अजीवतत्त्वम् ॥
साउच्चगोअमणुदुग सुरदुगपंचिंदिजाइपणदेहा । आइतितणुणुवंगा आइमसंघयणसंठाणा ॥ १५ ॥ HI (सा) शाता वेदनी कर्म १ (उच्चगोअ) उंच गोत्र कर्म २ (मणुदुग) मनुष्यगति ३ और मनुष्यानुपूर्वी ४ (सुर
दुग) देयगति ५ और देवानुपूर्वी ६ (पचिंदिजाइ) पंचेन्द्रि जातीनाम कर्म ७ (पणदेहा) औदारिकादि शरीर पाँच