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पन १ महापन २ तिगिच्छि ३ केसरी ४ पुण्डरीक ५ और महापुण्डरीक ६ इन छके साथ देवकुरु ओर उत्तरकुरु । | इन क्षेत्रांके पांच २ द्रह मिलानेसै शोले महानद्रह जंबुद्वीपमें जानना ॥ २० ॥ मा गंगा सिंधुरत्ता, रत्तवई चउनईओ पत्तेयं । चउदसहिं सहस्सेहिं, समग्ग वच्चंति जलहिम्मि ॥२१॥ । अर्थ-जंबुद्वीपके दक्षिण भरत क्षेत्रमें एक (गंगा) गंगा दुजी (सिंधु) सिन्धु यह दो बडी नदीये है, इसी तरह । उत्तरकी तर्फ ऐरवत क्षेत्र में एक (रत्ता) रक्ता दुजी (रत्तवई ) रकवत्ती यह दो बडी नदीये है, इन (पत्तेयं ) प्रत्येक २
(घर) च्यार (नइओ) नदियोंके (चउदसहिं सहस्सेहिं ) चउदा घउदा हजार नदियांका परिवार है, और इनकी (समग्ग) समग्र याने सर्व संख्या, छप्पन्न हजार नदियें होती है. और (जलहिम्मि) समुद्रके अंदर जाके (वच्चंति)
मिलती है ॥ २१॥ । भावार्थ-जंबुद्वीपके भरत क्षेत्र आत्री एक गंगा, दुजी सिन्धु, और ऐरवत क्षेत्र आम्री. एक रक्ता, दुजी रक्तवती, # यह च्यारां नदिये अपने २ चउदह २ हजार नदियांके परिवारसें समुद्रमें जाके मिलती है ॥२१॥
एवं अभितरिया, चउरो पुण अट्ठवीस सहस्सेहि। पुणरवि छप्पन्नेहि, सहस्सेहिंजंति चउसलिला ॥२२॥ 3अर्थ-(पुण)फिर (एवं ) ऐसेहि एक हेमवत. दुजा ऐरण्यवत. इन दो युगलियांके (अभितरिया) अभ्यंतर
क्षेत्रकी नदिये. एक रोहिता. दुजी रोहितांशा. तीजी रूपकूला. और चोथी सुवर्णकूला, यह (चउरो) च्यारों नदिये
SAGAR