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एक नयने ग्रहण करे ते मिथ्यात्वी छे ए साते नयसिद्ध ते वचन प्रमाण छे अने ए सात नयमां कोइपण नयने उथापे तेनुं वचन अप्रमाण छे.
हवे प्रमाणनो विचार कहे छे. प्रमाणना बे भेद छे एक प्रत्यक्षप्रमाण बीजं परोक्षप्रमाण तेमां जे जीव पोताना | उपयोगथी द्रव्यने जाणे ते प्रत्यक्ष प्रमाण कहियें जैम केवली छ द्रव्य प्रत्यक्ष प्रमाणे जाणे तथा देखे ते माटे केवल ज्ञान ते सर्वथी प्रत्यक्ष ज्ञान छे अने मनपर्यवज्ञान ते मनो वर्गणा प्रत्यक्ष जाणे तथा अवधिज्ञान ते पुद्गल द्रव्यने प्रत्यक्ष
जाणे माटे ए वे ज्ञान देशप्रत्यक्ष छे वीर्जु छद्मस्थ ज्ञान ते सर्व परोक्ष प्रमाण छे. * हवे परोक्ष प्रमाण कहे छे मतिज्ञाननो अने श्रुतज्ञाननो उपयोग परोक्ष प्रमाण छे केमके जे शास्त्रना बलथी जाणे ||
ते परोक्ष प्रमाण कहिये ते परोक्ष प्रमाणना त्रण भेद छे १ अनुमाणप्रमाण २ आगमप्रमाण ३ उपमानप्रमाण तेमा 8 अनुमाण एटले कोइक सहिनाण देखीने जे ज्ञान थाय जेम धुमाडो देखीने अग्निर्नु अनुमान थाय अने आगम एटले है
शास्त्रनी साखी जे वात जाणिये जेम देवलोक तथा नरक निगोद विगेरेनो विचार आगमथी जाणिये छैये ते आगम [. प्रमाण अने कोइक वस्तुनो दृष्टान्त पापीने वस्तुने ओलखाववी ते उपमान प्रमाण जाणवो ए प्रमाण कह्या हवे सत् । | असत् पक्षथी सप्तभंगी कहे छे. | १ स्यात् केहतां अनेकांत पणे सर्व अपेक्षा लेइ जीवद्रव्यमा आपणो द्न्य आपणो खेत्र आपणो काल आपणो * भाव एम आपणे गुण पर्यायें जीव छे तेम सर्व द्रव्य आपणे गुणपर्यायें छे ते स्यात् अस्ति नामा पहेलो भांगो थयो.
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