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छिपाये रहें । यदि उनको शास्त्र सभा के शास्त्र को मन्दिर से ले जाकर न्यायालयों में प्रविष्ट करना रुचिकर नहीं है (जिसको मैं भी अनुचित समझता हूँ ) तो उनको अपने शास्त्रों को छपवाना चाहिए ताकि छापे की प्रतियों का अन्य प्रत्येक स्थान पर प्रयोग किया जा सके, और जैन-धर्म, जैन- इतिहास और जैन - लॉ के संबंध में जो किंबद तियाँ संसार में फैल रही हैं दूर हो सकें ।
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लन्दन २४-६-२६
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चम्पतराय जैन, बैरिस्टर-एट-ला, विद्यावारिधि ।
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