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stree गौड़ ने किसी एक भी हिन्दू अथवा बौद्ध शास्त्र, व पुराने ग्रन्थ का उल्लेख नहीं किया है जिसमें जैन धर्म के अभ्युत्थान का वर्णन हो और वह ऐसा कोई भी धर्म- विचार वा धर्म-आचार नहीं बता सकते हैं, जो जैन धर्म ने बौद्ध धर्म से लिया हो, तथापि उनको उपर्युक्त लेख लिखते हुए सङ्कोच नहीं हुआ ।
उनके प्रमाण निम्नलिखित हैं
( १ ) माउन्ट स्टुअर्ट एल्फिस्टन लिखित हिन्दू इतिहास ( २ ) हिन्दुस्तान की अदालतों के कुछ फ़ैसले
( ३ ) १८८१ की बंगाल मनुष्य - गणना की रिपोर्ट पृ० ८७-८८ किन्तु ये समकालीन लेख नहीं हैं और अदालत की नज़ीरों में कहीं भी इस बात के निर्णय करने की चेष्टा नहीं की गई है कि जैन धर्म हिन्दु धर्म वा बौद्ध धर्म का बच्चा है, अथवा नहीं। इनमें से एक फ़ैसले में केवल एलफिंस्टन के भारत - इतिहास से निम्न लिखित पड़ियों की आवृत्ति की गई है और वह भी एक समाचार के रूप में
" जान पड़ता है कि जैनों की उत्पत्ति हमारे ( ईसा के ) संवत् की छठी वा सातवीं शताब्दी में हुई । आठवीं वा नवीं शताब्दी में वह विख्यात हुए, ग्यारहवीं में उन्नति सीमा पर पहुँच गये और बारहवीं के पीछे उनका पतन हुआ ।”
यह विचार निस्सन्देह प्रारम्भिक अन्वेषणार्थियों का था जो जैन धर्म के विषय में बहुत कम ज्ञान रखते थे, किन्तु जितनी प्राधुनिक खोज हुई है उस सबका निर्विवाद परिणाम यही है कि जैन धर्म को बौद्ध धर्म की शाखा समझना एक भूल थी । इस विषय में योरुपीय व भारतवर्षीय प्राच्य - विद्वानों व खाज करनेवालों में कुछ भी मतभेद वा अन्तर नहीं है ।
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