Book Title: Jain Law
Author(s): Champat Rai Jain
Publisher: Digambar Jain Parishad

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Page 177
________________ का प्रचार था.........किन्तु उस समय में भी उत्तरीय भारत में एक प्राचीन और अत्यन्त संगठित धर्म प्रचलित था, जिसके सिद्धान्त, सदाचार और कठिन तपश्चरण के नियम उच्च कोटि के थे। यह जैन धर्म था। जिसमें से ब्राह्मण और बौद्ध धर्मों के प्रारम्भिक तपस्वियों के प्राचार स्पष्टतया ले लिये गये हैं, ( देखो Short Studies in the Science of Comparative Religion, PP. 243--244.)। अब वह दावा कहाँ रहा कि जैन हिन्दु डिस्सेंटर्ज़ हैं और जैन धर्म बौद्ध धर्म का बच्चा है। पुराने प्राच्य विद्वानों की भूल को एक मुख्य अन्तिम प्रामाणिक लेख में इस प्रकार दिखलाया है-- ( The Encyclopaedia of Religion and Ethics, Vol. VII, P. 465 )___ “यद्यपि उनके सिद्धान्तों में मूल से ही अन्तर है, तथापि जैन और बौद्ध धर्म के साधू हिन्दू धर्म के वितरिक्त होने के कारण, वाह्य भेष में कुछ एक से दिखाई पड़ते हैं और इस कारण भारतीय लेखकों ने भी उनके विषय में धोखा खाया है। अतः इसमें आश्चर्य ही क्या है कि कुछ यूरोपीय विद्वानों ने जिनको जैन धर्म का ज्ञान अपूर्ण जैन धर्मपुस्तकों के नमूनों से हुअा, यह श्रासानी से समझ लिया कि जैन मत बौद्ध धर्म की शाखा है। किन्तु तत्पश्चात् यह निश्चयात्मक रूप से सिद्ध हो चुका है कि यह उनकी भूल थी और यह भी कि जैन धर्म इतना प्राचीन तो अवश्य ही है जितना कि बौद्ध धर्म । बौद्धों की धर्म पुस्तकों में जैनों का वर्णन बहुत करके मिलता है, जहाँ उनको प्रतिपक्षी मतानुयायी और पुराने नाम 'निगथ' (निग्रन्थ) से नामाङ्कित किया गया है।...... बुद्ध के समय में जैन गुरु को नात पुत्त और उनके निर्वाण स्थान को पावा कहा गया है। नात व नातिपुत्त जैनियों के अन्तिम तीर्थंकर वर्द्धमान महावीर का विशेषण था और इस प्रकार बौद्ध पुस्तकों से जैन धर्म के कथन का समर्थन हाता है। इधर जैनियों के धर्मग्रन्थों में महावीर स्वामी के समकालीन वही राजा कहे गये हैं जो बुद्ध के समय में शासन करते थे, जो बुद्ध का प्रतिपत्तो था। इस प्रकार यह सिद्ध हो गया, कि महावीर बुद्ध का समकालीन था और बुद्ध से उम्र में कुछ बड़ा था। महावीर स्वामी के पावापुर में निर्वाण होने के पश्चात् बुद्ध जीवित रहे । बुद्ध तो बौद्ध धर्म का संस्थापक था महावीर शायद Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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