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कौन दत्तक हो सकता है जिसके कारण मनुष्य सपुत्र कहलाता है अर्थात् प्रथम पुत्र गोद नहीं देना चाहिए (२५) क्योंकि प्रथम पुत्र से ही पुरुष पुत्रवाला (पिता) कहा जाता है (२६)। संसार में पुत्र का होना बड़ा आनन्ददायक समझा गया है (२७)। पुण्यात्माओं के ही बहुत से पुत्र होते हैं जो सब मिलकर अपने पिता की सेवा करते हैं (२८)। हिन्दू-लॉ की भाँति अनुमानतः यह मनाही आवश्यकीय नहीं है और रिवाज भी इसके अनुसार नहीं है (२६)। ___ लड़का गोद लेनेवाली माता की उम्र से बड़ी उम्र का नहीं होना चाहिए (३०)। कोई बन्धन कुआरेपन की जैन-लॉ में नहीं
है (३१)।
देवर, पति के भाई का पुत्र, पति के कुटुम्ब का बालक (३२), पुत्री का पुत्र (३३) गोद लिये जा सकते हैं। परन्तु उक्त क्रम की अपेक्षा से गोद लेना श्रेष्ठतर होगा (३४)। इनके अभाव में पति
(२५) अर्ह० ३२ । (२६) भद्र० ७॥ (२७) भद्र० १, अर्ह० १२ । (२८) अहं० १३ ॥ (२६) गौड़ का हिन्दू कोड द्वितीयावृत्ति ३८२ ।
(३०) भद्र० ११६ मगर देखो मानकचन्द ब० मुन्नालाल ६५ पंजा. रेकार्ड १६०६ = ४ इंडियन केसेज़ ८४४ ।
(३१) इन्द्र० १६ ।
(३२) इन्द्र० १६ मगर देखो मानकचन्द ब. मुन्नालाल ६५ पञ्जाब रे० १६०६ = ४ इ० के० ८४४ ( निस्बत देवर के गोद लेने के)।
(३३) होमाबाई ब. पंजियाबबाई ५ वी. रि० १०२ प्री० कौ०; शिवसिंहराय ब० दाखो १ इला० ६८८ प्री० कौ ।
(३४) अहनीति ५५-५६ ॥
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