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इति संक्षेपतः प्रोक्तो दायभागविधिर्मयापासकाध्ययनात्सारमुद्धृत्य 'क्लेशहानये ॥ ११८ ॥ एवं पठित्वा राज्यादिकर्म यो वा करिष्यति । लोके प्राप्स्यति सत्कीर्ति परत्राऽप्स्यति सद्गतिम् ।। ११६ ।।
अर्थ-इस प्रकार संक्षेप से उपासकाध्ययन से सार लेकर क्लेश की हानि के लिए दायभाग मैंने कहा है। इसे पढ़कर यदि कोई राज्यादि कार्यों को करेगा तो इस लोक में कीर्ति तथा परलोक में सद्गति को प्राप्त होगा। ११८-११६॥
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