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से करे ताकि सम्पत्ति सुरक्षित रहे और परिवार जनों का निर्वाह भली भाँति हो सके (१३) । यदि विधवा ने प्रबन्ध कार्य का दायत्व स्वयं अपने ऊपर ले लिया है तो उसको (नियुक्ति पत्र या वसीयत के अनुसार ) उस सम्पत्ति को दान करने, गिरवी रखने तथा बेच देने का आवश्यकतानुसार अधिकार होगा (१४) । यदि कोई औरस या दत्तक पुत्र हो तो वह उसके इस प्रकार सम्पत्ति को व्यय करने में बाधक नहीं हो सकता (१५); क्योंकि विधवा को वह सब अधिकार हैं जो सिपुर्ददार को होते, तथा उसको धार्मिक कार्यों अथवा व्यापार सम्बन्धी आवश्यकताओं में उस सम्पत्ति को दानकर देने, गिरवी रखने और बेचने का अधिकार प्राप्त है (१६) ।
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( १३ ) ग्रह ० ५१ ।
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( १४ ) ५२ । ( १५ )
१२ ।
( १६ ) वर्ध० २४ ।
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