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१८२ ) परन्तु अब इसका कुछ व्यवहार नहीं है ( देखा गौड़ का हिन्दू कोड द्वितीयावृत्ति पृ० ३२४)। यदि कोई व्यक्ति बिना गोद लिए मर जाय तो दूसरे भाई का पुत्र उस मृतक के पुत्र की भाँति अधिकारी होगा। ___ यदि किसी पुरुष के एक से अधिक स्त्रियाँ हों और उनमें से किसी एक के पुत्र हो तो वह सब स्त्रियाँ पुत्रवती समझो जावेंगी (६)। उनको गोद लेने का अधिकार नहीं होगा (७)। क्योंकि खियाँ अपने निमित्त गोद नहीं ले सकती हैं केवल अपने नृतक पति के ही लिए ले सकती हैं। और केवल उसी दशा में जब कि वह मृतक पुत्रवान् न हो। वह एक स्त्री का लड़का उन सबके धन का अधिकारी होगा (७)।
कौन गोद ले सकता है औरस पुत्र यदि न हो (८) या मर गया हो ( ६ ) तो पुरुष अपने निमित्त गोद ले सकता है (१०) या औरस पुत्र को उसके दुराचार के कारण निकाल दिया हो और पुत्रत्व तोड़ दिया गया हो तो भी गोद लिया जा सकता है (११)। __ यदि पुत्र अविवाहित मर गया हो तो उसके लिए गोद नहीं लिया जा सकता (६) अर्थात् उसके पुत्र के तौर पर नहीं लिया जा सकता। दत्तक पुत्र को यदि चारित्र्यभ्रष्टता के कारण निकाल
(६) भद्र० संहि० ३६; अह. १८ । (७) " " ४०; " । (८) " " ४१; " ८८-८९; वर्ध० ३१-३४ । (१) " " १९; व. नी. ३४। । (१०) " " ४१; अहं ८८-८९; व. नी. ३४ । (११) अ. नी० ८८-८६ ।।
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