Book Title: Jain Kathamala
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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( २० )
बारह वर्ष का वनवास दे दिया। दोनों भाई अपनी बहन सीता को लेकर हिमालय की ओर चले गये ।
मन्त्रियों के समझाने से भरत उनको वापिस लौटाने के लिए गये। जब वे तीनों वापिस लौटने को तैयार नहीं हुए तो भरत राम की चरण पादुका ले आये और उन्हें सिंहासन पर रखकर राज कार्य चलाने लगे ।
हिमालय पर से लंका का राजा रावण सीताजी को चुरा ले गया । दोनों भाई उसे मार कर सीता को छुड़ा लाये |
वारह वर्ष पूरे होने पर राम अपने छोटे भाई लक्ष्मण और सीता सहित काणी वापिस लौट आये । उनका राज्याभिषेक हुआ ।
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अपनी बहन सीता के साथ राम ने विवाह कर लिया और सोलह हजार वर्ष तक राज्य करते रहे ।
उस जन्म में राजा शुद्धोधन (सिद्धार्थ गौतमबुद्ध के पिता) राजा दशरथ थे । बुद्ध की माता महामाया राजा दशरथ को पहली पटरानी, राम स्वयं वुद्ध, सीता उनकी पत्नी यशोधरा, भरत उनके प्रधान शिष्य आनन्द और सारिपुत्र लक्ष्मण थे । '
इस कथा में सबसे विचित्र वात है राम का अपनी सगी बहन सीता से विवाह | ऐतिहासिक धारणा के अनुसार शाक्यवंशीय राज्य परिवारों में राजवंश की शुद्धता सुरक्षित रखने के लिए भाई-बहनों का भी विवाह कर दिया जाता था।
सम्भवतः लेखक पर भी इसी परम्परा का प्रभाव रहा हो । .
- जैन परम्परा में राम-कथा
राम कथा सम्बन्धी जितना वाङ् मय वैदिक परम्परा में रचा गया, लग
१ देखिए - दशरथ जातक, उत्स एक : धारा अनेक — मुनिश्री महेन्द्रकुमारजी 'प्रथम', पृष्ठ, ५६-५७, तथा कादम्बिनी मानस चतुःशती अंक, १६७२ २ मुनिश्री महेन्द्रकुमार 'प्रथम' : उत्स एक : धारा अनेक, पृष्ठ -५७