________________ श्रीवर्धमान जैनविद्याभवन-जालोर ऊपर की संस्था संवत् 1992 ( मारवाडी 1991 ) के वैशाख शुदि 6 के दिन जालोर में स्थापित हुई और अच्छी उन्नति कर रही है। इस समय इसमें 100 जैन विद्यार्थी धार्मिक, महाजनी, हिन्दी और अंग्रेजी का अभ्यास कर ____कार्यवाहकों की लगन और श्री जैनसंघ की मदद से आज तक यह संस्था.३००००) का चन्दा और बिल्डिंग के वास्ते 60000 गज जमीन प्राप्त करने में समर्थ हुई है। चन्दा अभी चालू है, और पूर्ण आशा है कि सकल श्री जैनसंघ इसमें योग्य सहायता देकर इसकी नींव मजबूत करेंगे, ताकि भविष्य में यह विशेष कार्य कर सके। - कम से कम 250) रुपया मकानखाते में देनेवाले सजनों के नाम आरसपाषाण की तख्तियों पर खुदवा कर मकानों के द्वार पर लगवाये जाते हैं। - भोजनफण्ड, स्थायीफण्ड, आदि किसी भी खाते में का से कम 500) रुपया देने वाले सद्गृहस्थ इस संस्था के 'काय वाहक-सभासद बनाये जाते हैं और उनकी सलाह के अनुसार संस्था का कारोबार चलाया जाता है /