Book Title: Jain Gyan Gun Sangraha
Author(s): Saubhagyavijay
Publisher: Kavishastra Sangraha Samiti

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Page 14
________________ 345 348 352 353 355-375 355 356 356 357 359 361 362 पंचमी की नागिला की सामायिकबत्तीसदोष ,, मनभमरा की , 5 पदसंग्रह लघुताभावनापद रहेणो-कहेणीस्वरूपपद भिन्नमिन्नमतस्वरूपपद जैनस्वरूपपद चैतन-उपदेशपद / उपशम पर पद शरीररथ परं पद कायामंदिर पर पद उपदेशपद समयकी दुर्लभता पर पद चैतन-उपदेश पद उपदेश पद आत्म-उपदेश पद आशा-त्याग पर पद गुरु-उपदेश पद प्राणिप्रार्थना. धमी और कर्मीका संवाद रावण के प्रति सीता का वाक्य श्रीगोलनगरीयपार्श्वनाथप्रतिष्ठाप्रबन्ध - धनको सफलता 2 पोषधविधि 362 363 364 365 367 368 370 372 . 374 377-458 459 461-503

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