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liv... जैन गृहस्थ के सोलह संस्कारों का तुलनात्मक अध्ययन
• अन्नप्राशन संस्कार का तुलनात्मक विवेचन • उपसंहार • सन्दर्भ - सूची । अध्याय- 11 : कर्णवेध संस्कार विधि का तात्त्विक स्वरूप
149-158
• कर्णवेध संस्कार की अर्थ यात्रा • कर्णवेध संस्कार की व्यावहारिक जगत में आवश्यकता • कर्णवेध संस्कार करने का मुख्य अधिकारी • कर्णवेध संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त्त का विचार • कर्णवेध संस्कार हेतु समुचित काल निर्णय • कर्णवेध संस्कार हेतु निर्दिष्ट आवश्यक सामग्री • कर्णवेध संस्कार विधि शास्त्रकारों के मत में • कर्णवेध संस्कार विधि का तुलनापरक अध्ययन • उपसंहार • सन्दर्भ - सूची ।
अध्याय-12 : चूड़ाकरण संस्कार विधि का उपयोगी स्वरूप
159-175
• चूड़कारण शब्द का अर्थ विश्लेषण • चूड़ाकरण संस्कार की वैधानिक आवश्यकता • शिखा या चोटी का अनुभूतिपरक महत्त्व • चूड़ाकरण संस्कार के पारम्परिक अधिकारी • चूड़ाकरण संस्कार के लिए शुभदिन का विचार • चूड़ाकरण संस्कार का समय • चूड़ाकरण संस्कार के लिए उपयोगी सामग्री • चूड़ाकरण संस्कार विधि शास्त्रों के आलोक में • चूड़ाकरण संस्कार सम्बन्धी विधि-विधानों के सांस्कृतिक प्रयोजन • चूड़ाकरण संस्कार का तुलनात्मक विवेचन विधि संदर्भों में • उपसंहार • सन्दर्भ - सूची ।
अध्याय- 13 : उपनयन संस्कार विधि का आध्यात्मिक स्वरूप 176-231
• उपनयन संस्कार
• उपनयन संस्कार का अर्थपरक स्वरूप विश्लेषण की मौलिक आवश्यकता • उपनयन संस्कार के प्रयोजन का इतिहास • उपनयन संस्कार के उद्देश्यों एवं तत्सम्बन्धी मतभेद • भारतीय संस्कृति और उपनयन संस्कार की प्राचीनता • उपवीत का स्वरूप विश्लेषण 1. श्वेताम्बर परम्परा में जिनोपवीत का स्वरूप 2. दिगम्बर परम्परा में उपवीत का स्वरूप 3. वैदिक परम्परा में यज्ञोपवीत का स्वरूप • उपवीत धारण करने के कुछ विधि नियम • जिनोपवीतधारी के लिए आचरणीय कृत्य • किस स्थिति में नवीन उपवीत धारण करें ? • उपवीत धारण का सार्वकालिक माहात्म्य