Book Title: Jain Gruhastha Ke 16 Sanskaro Ka Tulnatmak Adhyayan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 370
________________ 312...जैन गृहस्थ के सोलह संस्कारों का तुलनात्मक अध्ययन 10 दिन 試試試試, 6 माह अवसर जन्म __ मरण | गर्भपात अशुद्धि 3 पीढ़ी 10 दिन 12 दिन 3 मास के 3 दिन 10 दिन बाद जितने दिन 6 दिन 6 दिन । का गर्भपात हो 4 दिन 4 दिन उतने दिन का 3 दिन 3 दिन दोष . 8 प्रहर 4 प्रहर यदि घर का सदस्य || घर वालों की 2 प्रहर 2 प्रहर परदेश में मरण को सूचना मिलने प्राप्त हो के बाद पीढ़ी पुत्री,दास, 3 दिन के अनुसार दासी अपने घर | 1 दिन | 1 दिन | अपघात मृत्यु में गाय, भैंस अनाचार | स्त्री सदा अशुचि | अशुचि श्वेताम्बर साहित्य में मृतक सम्बन्धी सूतक काल की मर्यादाएँ इस प्रकार बताई गईं हैं - __ • ब्राह्मण, क्षत्रिय एवं वैश्यों में पुरुष की मृत्यु होने पर दस दिन और स्त्री की मृत्यु होने पर ग्यारह दिन का सूतक लगता है। • यदि किसी निकट सम्बन्धी की मृत्यु या जन्म अन्य देश में हुआ हो तो धार्मिक कार्यों के लिए सूतक का दोष नहीं लगता है। यहाँ देश का तात्पर्य क्षेत्र विशेष- मालवा, मेवाड़, मारवाड़ आदि ही लेना चाहिए। • किसी का गर्भपात होने पर तीन दिन का सूतक होता है। • किसी अन्य गोत्र में मृत्यु या जन्म हुआ हो और विवाहित पुत्री ने सूतक के घर भोजन किया हो, तो तीन दिन का सूतक लगता है। • अन्न नहीं खाने वाले बालक की मृत्यु होने पर तीन दिन का सूतक होता है। सदा

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