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108...जैन गृहस्थ के सोलह संस्कारों का तुलनात्मक अध्ययन षष्ठी संस्कार के लिए आवश्यक सामग्री ___षष्ठी संस्कार को सम्पन्न करने के लिए अग्रलिखित सामग्री आवश्यक मानी गई है- (1) चंदन (2) दही (3) दूर्वा (4) अक्षत (5) कुंकुम (6) लेखिनी(खडिया) (7) हिंगुलादिवर्ण (8) पूजा के उपकरण (9) नैवेद्य (10) सधवा स्त्रियाँ (11) दर्भ(कुश-घास) (12) भूमि लेपन और (13) षष्ठी जागरण हेतु अपेक्षित अन्य सब वस्तुएँ। विभिन्न ग्रन्थों में षष्ठी संस्कार विधि
श्वेताम्बर परम्परा में षष्ठी संस्कार की विधि इस प्रकार दर्शाई गई है। -
• सर्वप्रथम यह संस्कार सम्पन्न करने के लिए जन्म से छठवें दिन की संध्या में गृहस्थ गुरु प्रसूतिकक्ष के समीप आए। षष्ठी पूजन में सूतक का दोष नहीं लगता है। • फिर सधवा स्त्रियाँ सूतिकागृह के भित्ति भाग एवं भूमि भाग पर अपने हाथों से गोबर का लेप करें। . उसके बाद शुक्र-बृहस्पति किस दिशा की ओर भ्रमण कर रहे हैं, ऐसा ज्योतिष के आधार पर देखकर शुक्र-बृहस्पति के भ्रमण करने की दिशा वाले भित्ति भाग को खड़िया मिट्टी(सफेद मिट्टी) आदि से सफेद कराए। . फिर उस भूमि भाग को चारों तरफ से सुशोभित कराए। • तदनन्तर भित्ति के सफेद वाले भाग पर सधवा स्त्रियाँ हाथों से कुंकुम-हिंगुल
आदि लाल वर्णों द्वारा आठ खड़ी हुई, आठ बैठी हुई एवं आठ सोई हई माताओं का आलेखन करें। • उसके बाद सौभाग्यवती नारियाँ मंगल गीत गाएं। • तत्पश्चात गृहस्थ गुरु चौकोर शुभ आसन पर बैठकर निम्न क्रम से माताओं की मंत्र पूर्वक पूजा करें।
• इस पूजा के क्रम में खड़ी हुई माताओं में से सर्वप्रथम सरस्वतीदेवी का आहवान करे, संनिधान करे, फिर उसकी स्थापना करे और फिर चन्दन, धूप, दीप, अक्षत, नैवेद्य आदि को मंत्र पूर्वक अर्पित करें। इसी प्रकार शेष सात माताओं की भी निर्दिष्ट मंत्र पूर्वक चन्दन आदि द्वारा पूजा करें। उसके बाद बैठी हुई एवं सोई हुई माताओं का भी पूर्वोक्त मन्त्रों द्वारा तीन बार पूजन करें। कहींकहीं चामुण्डा और त्रिपुरा को छोड़कर छः माताओं का ही पूजन किया जाता है।
आठ माताओं के नाम ये हैं - (1) सरस्वती (2) माहेश्वरी (3) कौमारी (4) वैष्णवी (5) वाराही (6) इन्द्राणी (7) चामुण्डा और (8) त्रिपुरा।
• इन आठ माताओं की आलेखित आकृतियों का पूजन कर लेने के बाद मातृ-स्थापना के अग्रभूमि भाग पर चन्दन का लेप करे और उस पर अंबिका रूप