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छलकती है, जिसे हम प्रमोद-भाव कहते हैं, वे सिर्फ क्रियाकाण्डों में तल्लीन रहते हैं क्योंकि भीतर एक गहन भय भरा हुआ है। वे चोरी इसलिए नहीं करते क्योंकि यह अमानवीय है बल्कि इसलिए कि दूसरे भव में जाना है जहाँ नरक भी हो सकता है। भय के कारण चोरी नहीं करते। हमारे धर्माचरण के साथ भय या प्रलोभन जुड़े हुए हैं। ईमानदारी से देखो, तुम पाओगे कि तुम्हारे सारे धार्मिक कृत्य या तो भय या प्रलोभन से जुड़े हुए हैं या लोभ की आकांक्षा से। तुम पाप नहीं करते क्योंकि नरक में जाने का भय है और पुण्य इसलिए करते हो कि स्वर्ग में जाने का प्रलोभन है। दान भी इसीलिए देते हो कि स्वर्ग में जाने की आकांक्षा है। यहाँ किए हुए का वहाँ लाभ मिले, कर्मकांड के पीछे यही उद्देश्य है।
मनुष्य जीवन भर स्वर्ग और नरक की मीमांसा में ही लगा रहता है और जो जीवन का आध्यात्मिक अंतरंग है उससे वंचित रहकर अपने जीवन को नरक बना लेता है। धर्म का संबंध तो जीवन के साथ होना चाहिए। तभी तो महावीर ने कहा, 'वत्थु सहावो धम्मो' - जो आत्मा का स्वभाव है, वही धर्म है। और चेतना का स्वभाव कभी उससे अलग नहीं होता। अगर आप उबलते हुए पानी को अग्नि पर डालेंगे तो क्या आग जलती रह सकेगा? नहीं। क्योंकि पानी का स्वभाव शीतल है, भले ही वह उबल रहा हो, फिर भी वह अग्नि को बुझाएगा ही। और अग्नि का स्वभाव ऊष्णता है, वह तो पानी को भी भाप बनाकर उड़ा देगी। जलती लकड़ी चाहे गीली हो तो भी वह हाथ जलाएगी ही। जैसे पानी का स्वभाव शीतल और अग्नि का ऊष्ण है, ठीक वैसे ही स्वर्गिक आनन्द, मुक्ति का आनन्द आत्मा का स्वभाव है। लेकिन हम अंधकार में जी रहे हैं। प्रकाश उपलब्ध करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। अंधकार में जी रहे हैं और अंधकार के दर्शन को प्रकाश की पहल मान रहे हैं।
कल्पना कीजिए कि आप एक अँधेरे कमरे में हैं और रात भर लकड़ी से अंधकार को पीटते रहे तो अंधकार को तिलमात्र भी दूर कर पाएँगे? लकड़ी टूट जाएगी, शरीर थक जाएगा पर अंधकार वैसा का वैसा ही रहेगा। इस अँधेरे को दूर करने के लिए न नरक का भय मन में लाओ, न स्वर्ग का प्रलोभन जीवन में लाओ। बस केवल आत्मा की ज्योति उजागर करो। अगर अँधेरे से छुटकारा पाना चाहते हो तो सिर्फ ज्योति की आवश्यकता है, लकड़ी से पीटने पर कुछ न होगा। तुम्हारे जीवन में अगर अंधकार है, तो उससे लड़ने से कुछ न होगा। प्रकाश का अभाव ही अंधकार है। पहल हो प्रकाश की, ज्योतिर्मयता की। __ एक बार ऐसा ही हुआ, अंधकार भगवान के पास गया और कहा, इस सूर्य ने मेरे जीवन में आफत कर रखी है। रोज सुबह आता है और मुझे भगा देता है। कभी-कभी
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