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तुम्हें प्रभावित नहीं करेगा। यदि सुख में जी रहे हो, तो यह भी बीत जाएगा और यदि दुःख में जी रहे हो तो यह भी।दुःख और सुख दोनों बीत जाएँगे पर इनके साथ कहीं तुम भी मत बीत जाना।
मुझे याद है, एक फ़कीर किसी सम्राट के पास पहुँचा। सम्राट ने कहा, फ़कीर! तुम मुझे ऐसी चीज़ देकर जाओ, कोई एक ऐसा मंत्र, एक ऐसी शिक्षा कि जिसे पाने के बाद जीवन में कुछ पाना शेष न रहे। फ़कीर ने अपनी अँगली में से अंगठी निकाली और सम्राट को दे दी। कहा - 'सम्राट यही तुम्हारे लिए शास्त्र बनेगा, जीवन
का मंत्र बनेगा और दुनिया का महान् संदेश बनेगा। सम्राट, इस अंगूठी के ऊपर जड़े रत्न के नीचे मैंने एक शिक्षा लिखी है पर सावधान ! जब जीवन की विकटतम वेला आ जाए, तभी इस रत्न को निकालकर अंदर लिखे हुए मंत्र को पढ़ लेना।' फ़कीर चला गया, पर सम्राट के मन में हर समय कुतूहल रहता कि आखिर इसमें लिखा क्या है? पर फ़कीर की बात याद आ जाती और सम्राट रुक जाता। कुछ वर्ष बीत गए। पड़ौसी राजा ने उसके राज्य पर हमला कर दिया। सम्राट युद्ध में पराजित हो गया। अपने बचे-खुचे सैनिकों को लेकर वह भाग निकला, दुश्मनों की सेना उसका पीछा करती आ रही थी। धीरे-धीरे सारे सैनिक भी पीछे छूट गए। सम्राट अकेला भागता चला आ रही था। एक अवसर ऐसा आया कि आगे रास्ता भी दिखाई नहीं दे रहा था। वह पहाडी रास्तों में फँस गया। आगे रास्ता बंद, अब घोड़ा भी आगे नहीं जा सकता। सम्राट वहीं घोड़े से उतर कर बैठ गया। दुश्मन के घोड़ों की टप-टप की ध्वनि आ रही थी। सम्राट ने सोचा, दुश्मन आ पहुँचे हैं और अब मेरा बचना मुश्किल है। तभी उसे फ़कीर की वह बात याद आ गई, 'जीवन की विकटतम वेला में रत्न को निकालकर अंदर लिखे मंत्र को पढ लेना।'
सम्राट ने वह रत्न अंगूठी में से बाहर निकाला। भीतर एक कागज का टुकड़ा निकला। सम्राट ने खोला, पढ़ा 'दिस टू विल पास' - यह भी बीत जाएगा। और सम्राट के भीतर चेतना जाग गई। उसे कुछ ढाढ़स मिला । कुछ देर में ही जो घोड़ों की पगध्वनि आ रही थी बंद हो गई। चैन की साँस ली, उसने साहस बटोरा, संकल्प लिया। अपने मित्रों को एकत्र कर सेना गठित की। पुन: अपने राज्य पर आक्रमण किया और विजय प्राप्त की। सिंहासन पर बैठा। बहुत प्रसन्न था, गौरवान्वित था, चारों ओर खुशियाँ मनाई जा रही थीं। इसी प्रसन्नता के बीच अचानक सम्राट को फ़कीर का मंत्र याद आ गया। 'दिस टू विल पास।' सम्राट उदास हो गया। मंत्री ने पूछा, राज्याभिषेक के समय आपके चेहरे पर उदासी! सम्राट ने वह कागज का टुकड़ा उठाया और कहने लगे, यह भी बीत जाएगा। जब बुरा वक्त निकल गया तो यह अच्छा वक्त भी कब तक टिका रहेगा।
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