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और घुटनों को ज़मीन का आधार दें। बायें पाँव की जंघा को पिंडली से जोड़ें। बायाँ पाँव दोनों हथेलियों के बीच हो। दृष्टि ऊपर की ओर हो । बैठक को नीचे की ओर दबाव दें। चौथी मुद्रा : तुला-आसन __तीसरी मुद्रा में बायाँ पैर जो आगे रहा, उसे पीछे फैलाकर दायें पैर के पास लाएँ
और हाथ-पाँव के बल शरीर को सीधा रखें - झुकी हुई तराजू की तरह। पाँचवीं मुद्रा :शशांक-आसन
पंजों और घुटनों के बल वज्रासन में बैठ जाएँ हाथ ज़मीन से लगे रहेंगे। सिर दोनों हाथों के मध्य रहेगा तथा ललाट भूमि पर दोनों नितम्ब एड़ियों पर टिके रहेंगे। छठी मुद्रा :साष्टांग प्रणाम-आसन
पेट के बल उल्टा लेट जाएँ, हाथ सीधे सामने की ओर रखें। शरीर पूरा ढीला रखें। गर्दन को सीधा करें, ललाट ज़मीन से स्पर्श हो और प्रणाम-भाव के साथ तीन गहरी साँस लें। सातवीं मुद्रा : भुजंगासन
दोनों हथेलियों को पसलियों के पास धरती पर टिकाकर कंधे और नाभि के हिस्से को साँस भरते हुए ऊपर की ओर उठाएँ - नागफन की तरह। आठवीं मुद्रा : धनुरासन
ज़मीन पर उल्टा लेट जाएँ। पैरों को घुटने से कमर की ओर मोड़ें। हाथों से पैरों को टखनों के पास पकड़ें। शरीर को दोनों ओर से भीतर खींचने का प्रयास करें। सिर ऊपर की ओर उठाएँ।* नौवीं मुद्रा : पर्वतासन ___ साँस छोड़ते हुए हथेलियों को सामने फैलाकर ज़मीन पर रखें। पैरों को सीधा करें। कमर को धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाएँ। हाथ और पाँव के बल पर्वताकार में स्थिर हों। एड़ियों को ज़मीन पर लगाने का प्रयास करें। दसवीं मुद्रा : अश्व-संचालन-आसन __ यद्यपि यह तीसरी मुद्रा की पुनरावृत्ति है, किंतु इसमें दायाँ पैर दोनों हाथों के बीच रहेगा और बायाँ पैर पीछे की ओर फैला हुआ। * सातवीं मुद्रा में भुजंगासन, आठवीं मुद्रा में पर्वतासन और नौवीं मुद्रा में शशांक-आसन भी मान्य है।
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