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ध्यानयोग विधि-2
(संबोधि-ध्यान-शिविर, सांध्य-मत्र
समय : लगभग सवा घंटा)
संबोधि-भाव प्रार्थना
10 मिनट गोधूलि वेला में साधकगण पंक्तिबद्ध होकर बैठे और तीन बार नवकार मंत्र का सस्वर सामूहिक पाठ करें। नवकार-मंत्र के उपरान्त गुरुदेव की संबुद्ध-प्रज्ञा से सृजित अनूठी रचना 'संबोधि-सूत्र' का संगीतमय गायन ध्यान की समझ को विकसित करने में सहायक होगा -
संबोधि-सूत्र अन्तस् के आकाश में, चुप बैठा वह कौन ! गीत शून्य के गा रहा, महागुफा में मौन॥ 1 ॥ बैठा अपनी छाँह में, चितवन में मुस्कान। नूर बरसता नयन से, अनहद अमृत पान॥ 2 ॥ शान्त हुई मन की दशा, जगा आत्म-विश्वास। सारा जग अपना हुआ, आँखों भर आकाश ॥ 3 ॥ मेरा-तेरा भाव क्या, जगत एक विस्तार।
जीवन का सम्मान हो, बाँहों भर संसार ॥ 4॥ 142
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